Wednesday, December 17, 2014

16 दिसम्बर

16 दिसम्बर
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हाल ही में उपमहादीप में दो बार दुःखद हादसों के लिए "16 दिसम्बर " चर्चित हुआ है।
* 16 दिसम्बर 2012 - दिल्ली में कुत्सित कामवासना और चरम दुष्टता की शिकार हो एक युवती अंततः जीवन संघर्ष में हारती है.
* 16 दिसम्बर 2014 - पेशावर पाकिस्तान में डेढ़ सौ से अधिक मासूम, स्वयंभू एक धर्म अतिवादी संगठन के हमले में प्राण गँवाते हैं.
यों तो कैलेंडर अस्तित्व में आने के बाद हर दिन इतिहास पृष्ठों पर कुछ अच्छी और कुछ कड़वी घटनाओं के साथ दर्ज हुआ है।  लेकिन
बेचारे "16 दिसम्बर" ने उपमहादीप में डेढ़ अरब लोगों को 2 वर्ष में 2 बार हिला देने का दुर्योग पाया है।
किन्तु लेखक कहता है "16 दिसम्बर " तुम दुर्दिन नहीं हो।  यह तुम्हारी नहीं मनुष्य के अंदर बैठे जानवर की कारगुजरी है जो तुम्हारे निंदा के प्रसंग बनाती है।
"16 दिसम्बर " तुम धीरज रखो तुम नींव के पत्थर साबित होने जा रहे हो उस मानव सभ्यता के भव्य महल की जिसमें मानव सुखद जीवन सुनिश्चित होता है.
"16 दिसम्बर ", तुम्हारे सीने पर घटित इन दो दुष्टतापूर्ण घटनाओं से निश्चित ही पूरे विश्व के मनुष्यों के ह्रदय में मानवता की शुध्द भावना जागृत कर दी है. जिससे वे स्वयं भले बनेंगे। ऐसी व्यवस्था और उपाय कर लेंगे जिससे निकट भविष्य से ही
1. नारी पर होने वाले शोषण के किस्से इतिहास हो जाएंगे. ..
2. उस उन्माद का अंत हो जायेगा जिसमें अपने धर्म के अनुयायी बनाने की जिद का भूत , मनुष्य सिर से उतर कर पाताल में समा जाएगा।
फिर "16 दिसम्बर " तुम मनुष्य नहीं "एक दिन" होगे,  जिसे विश्व शांति का नोबल दिया जाएगा।
"16 दिसम्बर" हार्दिक शुभकामनायें …
--राजेश जैन
18-12-2014

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