Tuesday, December 2, 2014

प्रोफाइल पिक में बुर्के और मुँह ढके लम्बे घूँघट

प्रोफाइल पिक में बुर्के और मुँह ढके लम्बे घूँघट
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"रुग्ण पुरुष मानसिकता फेसबुक खूबियों पे पानी ना फेर दे
कुप्रवृत्ति ये प्रगति पथ पर बढ़ती नारी का साहस ना हेर दे
जिन अपने चित्रों को अपनों की प्रशंसा ख़ुशी को रखती नारी
गन्दी दृष्टि व कमेंट्स मुखड़ा वह वापिस घूँघट में ना घेर दे"


 आज की पुरुष पीढ़ी को सोचना है क्या वह नारी को बुर्के /घूँघट या घर की चारदीवारियों/जनानखाने में सीमित देखना चाहती है अथवा जीवन मोर्चे पर संघर्ष में उन्हें अपने कंधे से कन्धा मिला साथ का आव्हान करती है?
यदि प्रगति वादी नारी उन्हें पसंद है तो उसे यथोचित सम्मान दिया जाना होगा। उसे अपने जीवन स्वप्न भी साकार करने के अवसर देने होंगें। हम मानव सभ्यता की उस मंज़िल पर हैं जहाँ ज्ञान और न्याय से व्यवस्था चलनी है। वह मंज़िल मानव सभ्यता की यात्रा में पीछे छूट चुकी है जहाँ बाहुबल से समाज व्यवस्था चलती थी। पुरुष ज्यादा सबल था तो नारी पर मनमानी और उसे अपनी खींची सीमाओं में रहने को विवश करता था।
नारी शारीरिक बल से पुरुष से कम थी किन्तु आत्मिक बल से पुरुष से श्रेष्ठ रही है। जिन जीवन चुनौतियों में उसने शताब्दियों सफल जीवन संघर्ष दिखाया है ,सबल पुरुष के लिए वह कुछ वर्ष ही लड़ लेना अग्निपरीक्षा में सफल होना हो सकता है। आज के पुरुष घरों /चौकों और पर्दों में 10 -20 वर्षों जीकर दिखा सकें तो अग्निपरीक्षा में सफल कहे जायेंगे। लेकिन पढ़ने वाले मेरे साथी पुरुष इस कल्पनामात्र से मेरे जैसे सिहर जायेंगे।
अभिप्राय लेख का यह स्पष्ट करना है कि आज यह समाज सभ्य है। समझना होगा जैसा सम्मानपूर्ण जीवन आकांक्षी पुरुष है वैसी ही आकांक्षा नारी की है। फेसबुक पर मिली नारी तस्वीरों पर गंदे कमेंट्स और उन्हें अश्लील पृष्ठों पर प्रदर्शित कर भद्दी भाषा लिखना सभ्यता के विपरीत है , मानसिक रुग्णता है , जिससे पुरुष , उस नारी समाज को कष्ट देता है , जिसमें से एक ने प्राणों की चिंता किये बिना पुरुष को जन्मा और पाला पोसा होता है।
हमारी नारी के प्रति अमर्यादित ओछी हरकतें जिसमें उसके सम्मान को ठेस पहुँचती है , कहीं उसे पुरानी उन विवशताओं को ओढ़ने को विवश ना करदे। सभ्यता की और बढ़ते मानव का ऐसा "यू टर्न " क्या हमें पसंद होगा? जब फेसबुक की नारी (id) आइडियों पर प्रोफाइल पिक में बुर्के और मुँह ढके लम्बे घूँघट ही दिखने लगेंगे।


--राजेश जैन
02-12-2014

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