Wednesday, December 3, 2014

नारी पुरुष सदैव परस्पर पूरक हैं

नारी पुरुष सदैव परस्पर पूरक हैं
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बेशक बेटे की कामना छोड़ो
बेशक भाई को भी तुम भूलो
पुरुष छल से व्यथित हे नारी 
पिता पुरुष तुम्हारा ना भूलो


मै पुरुष चाहो मेरा
विश्वास ना करना
धोखा खाये हमसे
विश्वास ना करना


संस्कारों पर अपने
तुम विश्वास करना
पुत्र न छले नारी को
उसे संस्कार दे देना


नारी पुरुष प्रकृति से बने पूरक हैं
जुदा नहीं हो सकते ऐसे पूरक हैं
अविश्वास के कुकृत्य मिटा डालो  
नारी पुरुष सदैव परस्पर पूरक हैं


सतर्कता रख न तुम छली जाओ
नई संतति में नई चेतना लाओ
नारी कृतज्ञ अभी पुरुष जीवित हैं
साथ उनके नई बुनियाद बनाओ


नारी गर अलग तुम हो जाओगी
न सृजक विध्वंसक कहलाओगी
सृष्टि में मानव प्रजाति के लिए
लुप्तता की दोषी बन जाओगी


सहनशीलता तुम्हारी इतिहास कहता है
वीरता बखान तुम्हारी इतिहास करता है
रच सकती हो तुम नया समाज इतिहास 
मानना अवश्य मेरा विश्वास कहता है


-- राजेश जैन
03-12-2014

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