2075 के समाज का उभरता चित्र
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किसी से रार नहीं मै ठानूँगा
अपमान बुरा न मै मानूँगा
न होता इक्छा अनुरूप उसे
भगवान की इक्छा मै मानूँगा
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किसी से रार नहीं मै ठानूँगा
अपमान बुरा न मै मानूँगा
न होता इक्छा अनुरूप उसे
भगवान की इक्छा मै मानूँगा
घिनौने जुलूस को मै रोकूँगा
दिशा को उसकी मै मोडूँगा
जुलूस निकाल सर्वहित का
सभी को उसमें मै जोडूँगा
बनती तस्वीर मै दिखाऊंगा
उसमें से गंदगी मै हटाऊँगा
अकेले को करना मुश्किल अतः
साथ आपको भी मै बुलाऊँगा
कवि अभी न बन सका पूरा हूँ
काव्यरूप चित्र न दे सकता हूँ
2075 में बनते समाज का अतः
गध्य रूप-चित्र मै खींचता हूँ
--राजेश जैन
20-12-2014
दिशा को उसकी मै मोडूँगा
जुलूस निकाल सर्वहित का
सभी को उसमें मै जोडूँगा
बनती तस्वीर मै दिखाऊंगा
उसमें से गंदगी मै हटाऊँगा
अकेले को करना मुश्किल अतः
साथ आपको भी मै बुलाऊँगा
कवि अभी न बन सका पूरा हूँ
काव्यरूप चित्र न दे सकता हूँ
2075 में बनते समाज का अतः
गध्य रूप-चित्र मै खींचता हूँ
--राजेश जैन
20-12-2014
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