Thursday, January 31, 2013

सफलता असफलता

सफलता असफलता
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कई बार हमने देखा -सुना है , जिनके जन्मजात या किसी दुर्घटना में शारीरिक अंग क्षति से वे विकलांग हो जाते हैं . वे कुछ ऐसे कारनामे कर गुजरते हैं . जिनकी (जिस तरह के कार्य विकलांग कर दिखाते हैं ) सफलता पर शारीरिक रूप से पूर्ण अधिकांश मनुष्य भी शंकित होते हैं .
विकलांगों की इस तरह की सफलता के बारे में चिंतन से कारण जो समझ आता है वह यह लगता है . विकलांग को अपनी शारीरिक हीनता की सच्चाई मालूम है , अतः इस असमर्थता के कारण उनके चित में भटकाव नहीं है . असमर्थता की जानकारी रहते वे जिस एक या कुछ लक्ष्य जीवन के लिए तय करते हैं . अपनी पूरी सामर्थ्य और शक्ति उस दिशा में लगा देते हैं . जिससे उन्हें वह सफलता मिलती है , जो कई पूर्ण समर्थ के जीवन में सपना ही बन छूट जाती है .
शारीरिक पूर्णता वाले हम जैसों की सफलता-असफलता के कारणों पर गौर करें तो लगता है , व्यक्ति अपना कोई लक्ष्य तय करता है . उस दिशा में पूरा श्रम करता है . उसे लगता है उसे अपेक्षित सफलता मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही है ,विचलित हो उस दिशा में श्रम छोड़ देता है . अधिकांश ऐसे अवसर में यह अधीरता के कारण सफलता से वंचित हो जाना होता है . वास्तव में श्रम और समय व्यय करने के के उपरांत जब उसका प्रतिफल मिलने का समय आ रहा होता है अधीरता में व्यक्ति उससे कुछ पहले अपना लक्ष्य दिशा बदलता है और सफल होते होते असफल रह जाता है .
आशय लिखने का यह है , लक्ष्य सोच समझ के तय किये जाएँ .यदि लक्ष्य अच्छे और परहितकारी भी हैं तब धैर्यवान रह उस दिशा में समय और परिश्रम करते जाएँ तो मुझे विश्वास है हम सब सफल हो सकते हैं . अपने मंतव्य जीवन में पूरे कर सकते हैं

 

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