कृपया सम्मिलित करो मेरे मान को
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पति की आय अपर्याप्त होने से
होकर व्यथित वह निकलती घर से
कुछ कमा लाऊं इस आशा से
ताकि बच्चे मेरे पढ़ सकें
पुस्तक और गणवेश दिला सकूँ
कुछ पौष्टिक भोज्य जुटा सकूँ
पति का कुछ भार हल्का कर सकूँ
शक मन में पति के जन्मता
हर रात आता शराब पीकर वह
मारता , पीटता संदेह वश में उसे
थकी जो घर बाहर के कार्य से
चौका -बर्तन करने जब पहुँचती
शिकायतें सुनती घर मालकिन की
घर व कार्य स्थल में अपमानित होती
कहानी नित दोहराती पूरे जीवन में
आदत पढती इन बातों की उसे
लगता यही होता जीवन अबला का
और नहीं कृपया आप समझो मालकिन
क्योंकि आप भी हो नारी मेरी जैसी
मान सम्मान को आप लड़ रही नारी के
कुछ पहले आप तो दे दो मुझ को
अवश्य जरुरत मेरी थी जो
मै आई थी काम मांगने आपसे
लेकिन आपको भी जरुरत सहायक की
आप को मिल जाएगा सम्मान पुरुष से
पहले आप नारी करो मान थोडा मेरा भी
परिस्थिति विकट मेरी को समझ कर
नारी आप भी बना रही अबला मुझे
घर लाये ब्याह कर मुझसे पति मेरे
जो तुम ना दे सको सम्मान मुझे आप
सबको पसंद अबला हैसियत मेरी रखना
उन्नति से विश्व की अतः कुछ नहीं
मिलता उपेक्षित नारी के इस रूप को
शोषण के विरुध्द उठ रहे सुर में
कृपया सम्मिलित करो मेरे मान को
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