Thursday, January 31, 2013

बच्चा न्याय बोध भूलता है

बच्चा न्याय बोध भूलता है

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पड़ोस का एक छोटा बालक , चार-पांच वर्ष का , कुछ 2-3 महीनों से बच्चे वाली छोटी साईकिल प्रतिदिन बहुत लगन से सीखता और चलाता दिखाई देता था . हमारा घर एक गली में जिसका दूसरा सिरा डेड एंड है , में है .और छोटे बच्चे का उस सड़क पर खेलना या साईकिल चलाना कोई खतरा नहीं उत्पन्न करता . उससे मेरी छोटी मोटी बात करने की आदत है . एक जन . (नए साल) पर उसे नई साईकिल दिलाई गई थी . मैंने आफिस से लौटते समय उसे नई साईकिल पर मजे से घूमते देखा तो , मैंने उसके साइड में अपनी कार रोकी . दरवाजा खोल कर उससे बात की

मै .. नई साईकिल है ?

बालक .. हाँ में सर हिलाता है .

मै .. इसे मुझे दे दो , बदले में मेरी इस कार को तुम रखलो .

बालक .. घबराहट के भाव के साथ नहीं में सर हिलाता है .

तब तक कुछ बड़े बच्चे आ जाते हैं . मेरे मजाक को समझते उससे कहते हैं , ले लो विकी .. कार बड़ी है . बच्चा इस तरह समझाये जाने पर और डरता है . और रुआंसा सा दिखता है . तब मै उसको भयमुक्त करने के लिए कहता हूँ .. ठीक है ,विकी अभी नहीं बदलते , अपनी पापा -मम्मी से पूंछ कर कल बता देना . बालक इस से भयमुक्त हुआ दिखाई दिया और सहमती में सर हिलाता है .तब मै अपनी गाडी आगे बढा लेता हूँ .

उस दिन बाद मैंने उससे कोई बात नहीं की फिर भी अपने टेरेस से उसे साईकिल चलाते अक्सर देखता हूँ .

सोचता हूँ , बच्चे पर लौकिक ज्ञान की ज्यादा परत नहीं चढ़ी है . तब तक तो न्यायप्रिय है और लालची भी नहीं . कौनसी वस्तु उसकी है उसे वह ही अपनी लगती है . बताये जाने पर भी की कोई अन्य वस्तु कीमती है वह उस और नहीं ललचाता है . अपनी आवश्यकता जितना ले लेता है , उससे ज्यादा में उसकी रूचि नहीं होती है .हम बच्चे के विवेक को विकसित नहीं मानते तब भी वह प्रकृति से न्याय के मार्ग पर ही चलता है . उसे किसी अन्य की कीमती चीज भी मिल रही है तो उसे नहीं चाहिए है . उसे यह भी मालूम है वह साईकिल चला पायेगा . कार उसके सामर्थ्य में नहीं .

सोचने को मजबूर करता है जो बातें हम बाद में सिखाते हैं , शिक्षा दिलवाते हैं , उससे बड़े होने पर उसी बच्चे में स्वार्थी ,संग्रहण प्रवृत्ति आती है . वह लाभ हानि का हिसाब करने लगता है . लाभ दिखता है , तो अन्य के सामान को हड़पने की तरकीबें भी लगाने लगता है .

इससे ऐसा लगता है , हम व्यवहारिक शिक्षा जो बच्चों को दिलाते हैं . और जो अपने कर्म और आचरण करते हैं . उसे देख जो संस्कार ग्रहण करता है .उससे बच्चा न्याय बोध भूलता है . आसपास से प्राप्त शिक्षा उसका मानसिक विकास करती है या बिगाडती भी है यह प्रश्न चिन्ह बनता है . 

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