शर्म नाक घटना होती है ऐसे दुष्ट का जन्म मनुष्य रूप होना ........
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भारत में परिवार में कन्या का जन्म होता है , उसी दिन से बेटी को पराई ही मानते हुए लालन पालन में लाड़ -दुलार बरसता है . हम जानते हैं हमारे ह्रदय के टुकड़े को एक दिन (युवा होने पर) विवाह सूत्र में बाँध अपने से दूर रहने के लिए विदा करेंगे . बेटी के विवाह में माँ-पिता पशोपेश में होते हैं . समझ नहीं पाते हैं इस अवसर को प्रसन्नता का अवसर माने या प्राण-प्रिया बेटी को दूर करना दुःख का एक अवसर समझें . पर परंपरा जैसा सब निभाते ही हैं .
ऐसे में जब माँ -पिता स्वयं कन्यादान करते हैं और बेटी को स्वयं दूसरों के हवाले करने तैयार रहते हैं , तब कोई दुष्ट उनकी बेटी को उनसे इस तरह छीन ले जिस तरह हमारे देश में नित दामनियाँ छीनी जा रहीं हैं . छीनकर उनका जीवन और नारी लज्जा सब हर लेते हैं तब विचार यह उत्पन्न होता है, छीनने वाला वह दुष्ट इसी देश की मिटटी में पल बढ़ कर इस तरह की संस्कृति और संस्कार के बाद भी ऐसा कुकृत्य का दुस्साहस कैसे करता है ?
शर्म नाक घटना होती है ऐसे दुष्ट का जन्म मनुष्य रूप होना ........
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भारत में परिवार में कन्या का जन्म होता है , उसी दिन से बेटी को पराई ही मानते हुए लालन पालन में लाड़ -दुलार बरसता है . हम जानते हैं हमारे ह्रदय के टुकड़े को एक दिन (युवा होने पर) विवाह सूत्र में बाँध अपने से दूर रहने के लिए विदा करेंगे . बेटी के विवाह में माँ-पिता पशोपेश में होते हैं . समझ नहीं पाते हैं इस अवसर को प्रसन्नता का अवसर माने या प्राण-प्रिया बेटी को दूर करना दुःख का एक अवसर समझें . पर परंपरा जैसा सब निभाते ही हैं .
ऐसे में जब माँ -पिता स्वयं कन्यादान करते हैं और बेटी को स्वयं दूसरों के हवाले करने तैयार रहते हैं , तब कोई दुष्ट उनकी बेटी को उनसे इस तरह छीन ले जिस तरह हमारे देश में नित दामनियाँ छीनी जा रहीं हैं . छीनकर उनका जीवन और नारी लज्जा सब हर लेते हैं तब विचार यह उत्पन्न होता है, छीनने वाला वह दुष्ट इसी देश की मिटटी में पल बढ़ कर इस तरह की संस्कृति और संस्कार के बाद भी ऐसा कुकृत्य का दुस्साहस कैसे करता है ?
शर्म नाक घटना होती है ऐसे दुष्ट का जन्म मनुष्य रूप होना ........
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