Friday, January 11, 2013

नारी -पुरुष समान अधिकार

नारी -पुरुष समान अधिकार 
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नारियों पर अत्याचारों का इतिहास बहुत पुराना है इसी क्रम में ताजे कुकृत्यों के कारण आज देश की नारी , युवा और प्रबुध्द जन अत्यंत आक्रोषित हैं .प्रदर्शनों , प्रसार माध्यमों पर चर्चाओं और fb पर कई तर्क-वितर्क और समाधान खोजे गए , सुझाये गए हैं . इस संवेदनशील विषय पर जिसने भी बिना गहन सोच-विचार कर लिखा या कहा उस पर वक्तव्य वापिस लेने और क्षमा मांगने का दबाव भी बना . यह सब मैंने देखा सुना है . इसलिए मै  पूरी सतर्कता के साथ ही अपनी बात रखने के चेष्टा कर रहा हूँ . और जो अंश किसी को ठेस पहुंचाते लगेंगे उसे में विलोपित भी कर दूंगा . ऐसी किसी भी स्थिति के लिए अग्रिम क्षमा याचना के साथ लिख रहा हूँ .
नारियों के वस्त्रों पर तर्क वितर्क आये . आधुनिक पीढ़ी ने और नारियों की तरफ से उन्हें ज्यादा सहमत नहीं किया .  नारी वस्त्रों से ज्यादा जो इन अपराधों के कारण है  उस  मूल कारण या समस्या की जड़ भी कह सकते हैं उसे लिखने की कोशिश कर रहा हूँ . 
आज आधुनिक माध्यम जिसमें नेट , मोबाईल , दूरदर्शन , सिनेमा  और कंप्यूटर स्टोरेज सम्मिलित हैं उस पर  अश्लील पिक्चर और विडियो की भरमार है . कोई भी बहुत कम प्रयास से या कहा जाए तो अनचाहे ही अपने सम्मुख इन सामग्रियों को पाता है . कोई भी  मूल कर्तव्य और प्रयोजन जिसको लेकर वह इन साधनों का उपयोग कर रहा है ,सरलता से भूल और भटक जाता है . इन सामग्रियों में नारी (ज्यादातर ) और पुरुष दोनों ही निवस्त्र या  मात्र अधोवस्त्र में उत्तेजक और कामुक मुद्राओं में दर्शाए गए होते है. इन का कुछ समय ही दृष्टि से गुजारने से ही इनके नेत्र में ऐसा दोष आ जाता है , जिससे अपरिचित नारी की तो छोडिये , घर परिवार , पास पड़ोस की ऐसी नारियों को जिनसे वह मर्यादाओं के रिश्ते से जुड़ा होता है उन्हें ही बुरी दृष्टि से देखता है . फिर यहाँ नारियों ने क्या धारण किया है वह महत्वहीन हो जाता है . पूरी गरिमा से वस्त्र धारण की हुई युवती को भी इनकी दृष्टि वस्त्र के पार सब कुछ देखने की शक्ति संपन्न हो जाती है . ऐसे में हमारी माँ , बहन पत्नी या बेटियां कैसे अपने तन ढंके उस से ज्यादा आवश्यक यह लगता है की इन अश्लील सामग्रियों पर कम या निर्वस्त्र (दुर्भाग्यशाली) नारियों के तन को किस तरह से ढका जाए. चूँकि यह सामग्रियां देश की सीमाओं के बाहर प्रचुरता से निर्मित और प्रसारित की जाती है अतः देश के अन्दर किये जाने वाले सारे उपायों पर पानी पड़ जायेगा . आज के युवा, नारी और नीति निर्धारक अपने मांग और क्रियान्वित किये जाने उपायों में इस पर गंभीरता दें .
जो नारी -पुरुष इन (अश्लीलता) व्यवसायों से धन अर्जन कर रहे हैं उन्हें यह प्रस्तुति नागवार लग सकती है . उनसे हाथ जोड़ क्षमा याचना करता हूँ . एक अनुरोध भी उनसे मेरा है . धन अर्जन के सम्मान पूर्ण बहुत विकल्प हैं अगर वे अन्य विकल्पों पर जाएँ तो अवश्य उनके पास कुछ कम धन और वैभव आएगा . पर समाज और नारियों की बड़ी भलाई होगी . उनके त्याग से समाज वैभव बढेगा ...  और नारी वास्तव में पुरुष समान अधिकार समाज में अनुभव कर सुरक्षित किसी भी  समय, किसी स्थान आने जाने की स्वतंत्रता ले सकेंगी           

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