Saturday, February 2, 2013

पत्नी भी नारी के अति सम्मानजनक अवतारों में से एक


पत्नी भी नारी के अति सम्मानजनक अवतारों में से एक
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हास्य बनाने या हीन दिखाने की  नियत से , जोक्स के माध्यम से या कुछ लेख करने के लिए चाहे या अनचाहे ( जो चलन में है उसकी नक़ल करते ) हम जाति विशेष या समूह विशेष पर उस जाति या समूह को पूरा सम्मिलित करते हुए (जनरलायीज ) लक्ष्य की प्रवृत्ति रखते हैं . जो उचित नहीं होती . इस लक्ष्य से कहे जाने का किसी किसी संवेदनशील निर्दोष (सच्चे ) के मन पर बुरा प्रभाव पढ़ता है .

जैसे -

शारीरिक दोष या असुंदर व्यक्ति को अंधा , लूला ,लंगड़ा बहरा इत्यादि कहना .

जोक्स .. में जाति विशेष के पात्र रख उपहास उड़ाना .

या किसी खराबी के लिए किसी समूह पर हर समय दोषी बताना .

पत्नी भी ऐसी एक जाति (या समूह) है , जिस पर ढेरों जोक्स , या अपने किसी भी असफलता या अपने सुख की राह में रोड़ा जैसा बताने का एक चलन है . कुछ पत्नी से सच में दुखी हो सकते हैं . पर जो पत्नी के रूप में बहुत ही सच्चा साथ भी पाने का भाग्य रखते हैं भी चलन में पत्नी को इस तरह से लक्ष्य करते पाए जाते हैं .

इस तरह के प्रसंग में कभी हम भी हास्य या सहमती में हिस्सेदार हो मजे लेते हैं . पर पत्नी एक अस्तित्व पर इस तरह लक्ष्य  अन्याय लगता है .

भारत में परिवार में नारी के पुरुष से रिश्ते में , माँ ,बहन और बेटी (बहन और बेटी छोटी होने पर भी ) पूज्यनीय रिश्ता है . पर पत्नी से पुरुष का रिश्ता ऐसा है जिसमें उसे प्रत्यक्षतः  हीनता बोध के साथ देखा जाता है . जबकि पत्नी योग्यता में भी पति से बेहतर भी देखने मिल सकती है . पत्नी वह रिश्ता भी है जो शायद 95 % से अधिक पुरुष जीवन में स्वयं सहर्ष जोड़ते भी हैं . पर एक बार वह अपना माँ -पिता का परिवार छोड़ जो आ जाती है तो अपने ऊपर एक समस्या सी ही देखी और बताई जाने लगती है . लेकिन गौर करें तो सारे खुशहाल परिवारों में पत्नी , अपने पति का साथ नारी के समस्त रूपों में निभाती है .

स्पष्ट लिखा जाए तो .. दैहिक रूप से पति-पत्नी का रिश्ता निराला और पहले 
दो अजनबी रहे विपरीत लिंगी व्यक्तियों  को जोड़ने वाला तो होता ही है . पर मुझे लगता है पत्नी इस महत्वपूर्ण साथ के अतिरिक्त अपने पति की जिस प्रकार देखभाल , चिंता और आवश्यकता की पूर्ती करती है , वह माँ ,बहन और बेटी के दायित्वों   जैसे भी होते हैं .

माँ , जैसा लाड दुलार भी उसके आचार -व्यवहार और कर्मों में अपने पति के लिए होता है (माँ जैसे गर्भ में तो नहीं पाला होता है , पर अपने पति के बच्चों को ऐसा पाल वह बराबरी कर देती है ) .

बहन , जैसा स्नेह और त्याग पति के लिए कर रही होती है .

बेटी , जैसी चिंता और सम्मान भी करती है .

इस तरह पत्नी एक अकेली नारी .. पुरुष के नारी से रिश्ते के सभी रूपों का निर्वहन करती ही है .

साथ ही पति की माँ , बहन और उसकी बेटी के साथ भी पति तुल्य दायित्व भी निभाने का प्रयत्न भी करती है .

पुरुष अपनी कमी का दोषारोपण भी पत्नी पर  करता है .. जैसे पत्नी के कारण वह माँ से विलग होता है , या बहन से मधुर रिश्ता नहीं निभा पाता . कुछ प्रकरणों में यह दोष सही भी हो पर अधिकांश में ऐसा नहीं होता है .

इसलिए पत्नी को सम्मान पूर्ण तरीके से पति और उसका परिवार भी देखे तो यह पत्नी के प्रति न्याय होगा .

और कई तरह की सामाजिक बुराईयाँ हमारे इस सच्चे दृष्टिकोण से कम हो सकेंगी .

पत्नी भी नारी के अति सम्मानजनक अवतारों में से एक है यद्यपि समाज में उसकी सच्ची पहचान नहीं प्रचलित है 

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