Wednesday, January 9, 2013

जगमगाता जीवन हार

जगमगाता जीवन हार
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जन्मा , वह शुरू हुई तब जीवन मोतियों का बनना एक हार
सूर्य निकल नित सफ़ेद एक मोती पिरोता इसमें बढ़ता है ये हार 
चंद्रमा आ निशा में जोड़ता काला मोती प्रतिदिन एक इस हार में 
प्रत्येक मनुष्य का इस तरह बन बढ़ता ऐसा एक जीवन हार

जन्म से जीवन अंत आते आते इतना बढ़ता यह जीवन हार
एक श्वेत एक काला मोती साठ हजार जाते लग इस हार में
बहुत कुछ समानता पर हर का बनता जीवन हार ये निराला
जगमग या बुझते मोती अलग होते कम ज्यादा  जीवन हार में

सद्कर्म ,सदाचार और सद्प्रेरणा बढ़ाते जगमग इस हार की
बुरे कर्म जीवन में हम से होते बुझाते वे जगमग इस हार की
जिसमें बहुत होते जगमगाते मोती कभी ही बिरले बनते ऐसे हार
 जगमगाते एवं बुझते बराबर मोती होते बहुधा बनते ऐसे हार

जगमगाते शोभा रहते दीर्घ काल तक समाज गले के बन हार
विकसित और सभ्य होता राष्ट्र करता धारण अनेक ऐसे हार
इतिहास पृष्ट पर नहीं उल्लेख मिलता जो जीवन न बनते ऐसे हार 
आओ 'राजेश' यत्न करें मानव समाज धारे मेरे जीवन हार को

--राजेश जैन

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