Wednesday, January 23, 2013

एक पत्र जो मैंने अपने अपरिचित (प्रतिभावान ) fb मित्र को लिखा ...

एक पत्र जो मैंने अपने अपरिचित (प्रतिभावान )  fb मित्र को लिखा ...
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जिन तथ्यों का आपने उल्लेख किया उसे उस स्वरूप में मै सोच समझ पाता  हूँ , क्योंकि एक विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मेरे ऊपर है . और मुझे सामाजिक दायित्व और विभागीय उत्तरदायित्वों (और पारिवारिक भी ) के बीच समन्वय रखना होता है .
इन तथ्यों के मद्दे-नज़र मैंने आपकी स्थिति को भी समझा है . आपने उत्कृष्ट समन्वय के साथ अपने  सभी दायित्वों का कम उम्र से ही निर्वहन सीखा है . जो आज नवयुवाओं के लिए बहुत अच्छा उदाहरण है .
वास्तव में आप देश के ऐसे नायक हैं , जिनके अनुकरण अगर नवयुवा करें तो देश और समाज से बुराई और समस्या कम होने लगेंगी . लेकिन छद्म नायकों से देश अटा पड़ा है . बहुत अच्छे अच्छे लुभावने आवरणों में अपसंस्कृति के सामग्रियां से नवयुवाओं को सम्मोहित कर भ्रमित किया जा रहा है .
इन तथाकथित नायकों  ने अपने थोड़े से जीवन लालसाओं के खातिर पूरे  देश-समाज को पथ-भ्रमित किया है . इसका पाप अपने सर लिया है .
पापी होने की समस्या उनकी व्यक्तिगत है . पर मेरे /अपने देश- समाज को इससे जो क्षति हुई है . उसकी क्षतिपूर्ति के लिए ,इस समाज के इस माटी   में जन्म लेने के कारण हम उससे ऋण-मुक्त के प्रयास करेंगे . वह सामग्री नवयुवाओं के समक्ष रखते जायेंगे , जो हमारे देश -समाज ,संस्कृति को बचा सके .
जितना उत्साह-वर्धन आपके साथ से मेरा हुआ है , वह अकल्पनीय है .. कृपया जब समय पायें , यह साथ आगे भी निभाएं ...
सादर आभार , धन्यवाद ..
राजेश जैन
23-01-2013

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