Tuesday, January 15, 2013

प्रशंसा

प्रशंसा 
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प्रशंसा वह प्रिय चीज है , जो हर किसी को  प्रिय होती है .
प्रशंसा दिए जाने के लिए कुछ व्यय नहीं होता है , पर उसे दूसरों को दिया जाना स्वयं तथा दूसरों दोनों के लिए लाभदायक होता है .
मुक्त कंठ और उचित प्रशंसा की हमारी प्रवृत्ति शीघ्र अन्य द्वारा पहचान ली जाती है . यह अच्छाई हमें आसपास और समाज में अच्छा प्रसिध्द करती है.
प्रशंसा की जाए , दूसरों में प्रशंसा के कारण ढूंढ उनके अच्छे गुणों की हमारे द्वारा की गई  प्रशंसा से उन्हें बनाये रखने और बढ़ाने का प्रोत्साहन दूसरों को मिलता है . पर प्रशंसा सही हो या आवश्यक है . अन्यथा चापलूसी में परिवर्तित होने पर यह दोनों को हानि पहुंचाती है .

आज देखा जाता है प्रशंसा हमारी हो हम पसंद करते हैं . पर दूसरों की अच्छी बातों को समझने या उसकी प्रशंसा करने का हमें समय नहीं मिलता . जैसे प्रशंसा हमारे आत्मविश्वास और उत्साहवर्ध्दन के लिए आवश्यक है , वैसे ही वह अन्य के लिए भी है.
सच्ची प्रशंसा , कार्यक्षमता ,गुणवत्ता और साथ को सुखद बनाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है .
प्रशंसा सुनने में हम भले कंजूसी करें , पर प्रशंसा करने में कतई कंजूसी ना बरतें .
यह कर देखिये ... हमें हमारे आसपास की दुनिया अच्छे में परिवर्तित होती लगेगी ..
     

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