बैर मिटे सबके मन में
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उतरते अन्य तब संघर्ष में अपने हित बचाने के लिए
हासिल और बचाते संघर्ष में हो जाती हिंसा अनायास
पक्ष जिसे होती जन क्षति बनती उनके ह्रदय में फांस
संघर्ष क्रम निरंतर चलता कभी यह कभी वह जीतता
संघर्षों में जो अपने प्राण गंवा लौट नहीं घर आ पाता
प्रियजन उसके दुखी होते कई अनाथ हो श्राप में जीते
खुशियाँ अस्थाई मनाते वे इस बार संघर्ष में जो जीतते
लड़ते जिस पर यहीं छूटती मरकर वे कहीं और पहुँचते
जिन्हें संघर्ष में हासिल होती छोड़ कभी वे भी मर जाते
छीना झपटी संघर्ष में किसी को कुछ ना हासिल होता
भूखे को भोजन दिलाने से संतोष सच्चा प्राप्त होता है
सब छूटना सबका ही है जब जानते सब इस सच को तो
स्वयं क्यों न त्यागते तब अन्य की थोड़ी ख़ुशी के लिए
त्याग की अगर वीरता लायें संघर्ष होंगे धीरे धीरे कम
ना हो संघर्ष जन्य जन हानि तो बैर मिटे सबके मन में
राजेश जैन
--28-01-2013
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