Wednesday, April 4, 2018

मै कौन हूँ?? (नारी संस्करण)

मै कौन हूँ?? (नारी संस्करण)
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मैं एक जानवर की तरह ही प्राणी हूँ - जिसकी मूल आवश्यकता मात्र जल, वायु एवं भोजन है। इतने पर ही मैं भी जानवर की तरह ही एक नियत उम्र तक जीवित रह सकती हूँ। किंतु मैं जानवर नहीं हूँ - कि मैं
1. मैं जन्मती तब हूँ - जब गर्भ में भ्रूण रूप में ही मार नहीं दी गईं हूँ ।
2. मैं पूर्ण आयु जीती तब हूँ - जब में दहेज अग्नि में जला नहीं दीं गईं हूँ या मुझ पर बलात्कार कर मुझे मार डाला न गया हो.
3. मैं एक ऐसी मनुष्य हूँ जिसे मर्यादा और जान पर खतरा बता कर - घरों में और अतिरक्त वस्त्र लबादों (पर्दे , हिज़ाब) में पाबंद कर दिया जाता है . और विडंबना यह कि जो पुरुष मुझ पर यह बोझ लादते वे ही बाहर मेरी तरह की नारी की जान और मर्यादा के दुश्मन होते हैं।
4. मैं वासना के जाल में यदि फँस जाऊँ तो कलंक मुझ पर ही आता है , मेरे जैसा ही मनुष्य (कामुक) एकाधिक संबंध रख उसे मर्दानगी की डींग की तरह प्रचारित करता है .
5. मैं मनुष्य होकर भी मुझे मंजिल तय करने की आज़ादी नहीं , मेरी मंजिल घर-परिवार-मजहब की दीवारों के भीतर ही सिमटती हैं.
जब मनुष्य विकास नहीं कर सका था तब भी शोषित मैं ही थी - अब कि सभ्यता में मैं आधुनिक तब ही कहलाती हूँ - जब पुरुष कामुकता के लिए अपने को सहज प्रस्तुत करूं . मेरा शोषण तब भी था और अब भी है। मुझ पर मर्यादायें थोपने वाले पुरुष ने अपनी कामुकता में नारी गरिमा को तार तार कर दिया है - पुष्टि के लिए देखिये मुझे किस विकृत कामुक रूप में कैमरों में उतार - नेट/मीडिया और सिनेमा में पेश कर दिया गया है।
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
 05-04-2018

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