Monday, April 16, 2018

सोसाइटी को कौन और कैसे परिवर्तित किया जा सकता है ?


सोसाइटी को कौन और कैसे परिवर्तित किया जा सकता है ?
कंप्यूटर के नये युग में हम सब जानते हैं , कंप्यूटर - असेंबल्ड हार्डवेयर्स और उसमें इन्सटाल्ड सॉफ्टवेयर्स से कार्य करता है .हार्डवेयर इसकी फंक्शनिंग में अहं रोल प्ले करते हैं , किन्तु किसी कम्प्यूटर सिस्टम से ज्यादा महत्वपूर्ण और त्वरित रिजल्ट का निकलना उसमें इन्सटाल्ड सॉफ्टवेयर पर निर्भर करता है। हम सभी यह भी जानते हैं कि सॉफ्टवेयर प्रोग्राम की दो केटेगरी होती हैं , एक प्रोग्राम दूसरी वायरस प्रोग्राम। वायरस प्रोग्राम , सिस्टम को स्लो , मैलफंक्शन करता है , और कभी सिस्टम को क्रैश भी करता है। इस भूमिका से आरंभ करते हुए यह बताने का प्रयास है , कि हमारा समाज भी कम्प्यूटर की तरह का सिस्टम है।

समाज एक कम्प्यूटर हार्डवेयर है इसमें रहते मनुष्य के मस्तिष्क वह यूनिट हैं जिसमें सॉफ्टवेयर इन्सटाल्ड होते हैं। प्रश्न ,जब सही करने का है , तो हमें यह मानना होगा , आज हमारी सोसाइटी सही नहीं है। इसका कारण भी वही है ,जो कम्प्यूटर में होता है ,सॉफ्टवेयर प्रोग्राम वायरस इंफेक्टेड होते हैं। जी हाँ , मनुष्य मस्तिष्क में इन्सटाल्ड सॉफ्टवेयर , उसके विचारों में वायरस का अटैक है , जो विवेक बुध्दि को इंफेक्टेड करता है। जिससे उसके आचरण , व्यवहार और कर्म , ऐसे नहीं रह गए हैं , जिनसे एक अच्छी सोसाइटी बनती है।

जरूरत 1. सर्वप्रथम , अपने मस्तिष्क को इंफेक्शन फ्री करने की है। इंफेक्शन फ्री मस्तिष्क वाला मनुष्य ही संपर्क में आये अन्य मनुष्य के मस्तिष्क पर इंफेक्शन का खतरा नहीं होता है।
2. दूसरे - इंफेक्शन फ्री होकर हमें दूसरों की प्रेरणा बनना है , ताकि वे भी प्रेरणा को एंटीवायरस की तरह रन कर के , अपने मनोमष्तिस्क को वायरस फ्री कर सकें।
जब ऐसे लोगों की संख्या अधिक हो जायेगी , हमारी सोसाइटी अच्छी हो जायेगी। हमें व्यवस्था /सरकार /न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर किसी प्रकार की शंका नहीं करनी चाहिए .यह विश्वास हर किसी पर करना चाहिये कि जो परिवेश है , जो परिस्थितियाँ हैं वे उनमें अपनी योग्यता से अच्छा से अच्छा करने का प्रयास करते होंगे. हमारा प्रयास अपने कर्मों से अपने आचरण से उदाहरण बनकर दूसरों की सही सोचने की प्रेरणा बनने के होने चाहिए।

हमारे सम्मुख ऐसी मिसाल हमारे पूर्व राष्ट्रपति स्व. श्री एपीजे अब्दुल कलाम ने रखी है। एक साधारण परिवार में जन्म लेकर , अपने को असाधारण बनाया , सारा जीवन राष्ट्र को समर्पित करके , इस समाज को अच्छा करने का यत्न किया। आप में , हममें भी वही प्रतिभा सोई हुयी है , जो उनमें जागृत रही थी। अपने सामर्थ्य की अनुभूति कर अपने में बदलाव लाकर हम अनेकों को बदलने का क्रम आरंभ कर सकते हैं।  रहते हैं , जिसमें उस सोसाइटी को अच्छा रख सकते हैं।

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