Tuesday, April 17, 2018


विषय - समाज संस्कृति से नफरत मिटाने का है
धूर्त - क़ौमी दूरियों में अपना फ़ायदा देखते हैं

विषय - पुरुष का नारी पर अत्याचार का है
धूर्त - उसे कौमी नफरत का विषय बनाते हैं

नज़रें आसमानी जन्नत के तसव्वुर में यूँ गड़ाई है
जमीं पर बढ़ती नफ़रत की खाई देख नहीं पाई है

हम अगर मेंटर हैं तो ऑडियंस युवा और बच्चे होने चाहिए
जिनके दिमाग़ी प्रोग्राम दुरुस्त होने से भविष्य सुखद होगा

हमें तो आज़ाद हिंद में अच्छे रिवाज ख़त्म मिले
अब तो बच्चों के लिए ख़ुशहाल भविष्य चाहिए है


'आसिफा पर रेप' और 'तीन तलाक़' अलग अलग समस्या हैं
नारी को कंफ्यूज नहीं करें - उसे जीने को जिंदगी-परिवेश दें

बड़े स्तर पर परोपकार के लिए बहुत हाथों की जरूरत होती है - सभी हाथ परोपकारी नहीं हैं
अपने हाथों से संभव छोटे छोटे परोपकार हमें करने चाहिए

 अब नारी पर्दे में है या नहीं - यह बात जाने दो
अब अपनी हवस , अपनी नज़र पर बस पर्दा करो तुम

धिक्कार नीति-विहीन राजनीति - जिसने आसिफा पर रेप तक को
सत्ता की दाल पकाने के लिए हंडिया में रख आग पर चढ़ा दिया

फिक्र दिखाये बिना - हमारी फ़िक्र करते हो
दिखाते नहीं अपनापन - होते मेरे अपने हो


 

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