Saturday, April 21, 2018

ग़र मर के वहीं पहुँचे - जहाँ से चले थे हम
समझ कि ज़िंदगी भर का ऐसा चलना - व्यर्थ गया

ग़र मर के वहीं पहुँचे - जहाँ से चले थे हम
समझ कि ज़िंदगी भर का ऐसा चलना - व्यर्थ गया

चल शुक्रिया तेरी बेवफ़ाई का भी - हम अदा करते हैं
जितने वक़्त वफ़ा दिखाई - उतना तो ख़ुशी में गया

चलना बहुत है - भ्रम युवावस्था को रहता है , मगर
थोड़ा ही चलते तब - जिंदगी तमाम होते दिखती है

#आदत_से_लाचार
धन ही बटोरता रहूँ - फिर खाली हाथ चला जाऊँ
इस मूर्खता को जीने का - मन तो नहीं होता है

आने और जाने पर वश - नादान का नहीं चलता है
इसका है खेद मगर - जो वश में वह भी नहीं करता है

मुद्दा नहीं कि - धन-वैभव या प्रतिष्ठा तुम अर्जित करो
मुद्दा यह है मगर - तुम ज़िंदगी को तो होश में जियो

बड़ी विकट यह ज़िंदगी - हर पल सवाल खड़ा करती है
रहम नहीं ज़िंदगी को कि - मासूम है जबाब जानता नहीं

पसंद जो बातें - दिल में वही रखना अच्छा
नफ़रत रखी थी - तब बहुत गड़ा करती थी

अच्छाई से जी लिया तो समझो - हर पल जीवन का रत्न है
लेके कोई जा न सका - जो बिखेर गया उसका जीवन रत्न है

कड़वा यदि तुम्हें होना पसंद - औषधि सा बनो
तुम्हारे विचारों के सेवन से - उपचार हो जाये

दौलत अपनी सारी वह उसके नाम करेगा - शर्त उसकी है
कि अपने नाम वही करवाए - जो साथ ले जा के दिखलाये














 

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