जुबां से मीठे वह होते हैं
जिनका दिल कटु बोलों से छलनी हुआ होता है
ख़ैरख़्वाह बनें , दग़ा दे जायें ऐसी मेरी ताशीर नहीं
मेरी ज़िंदगी चार दिनों की , हमेशा की जागीर नहीं
ख़ैरख़्वाह बनें , दग़ा दे जायें ऐसी मेरी ताशीर नहीं
मेरी ज़िंदगी चार दिनों की , हमेशा की जागीर नहीं
ग़र मुस्कान पसंद चेहरों पर तो - आप ये जान लीजिये
कोई मुस्कुराता तब है - जब भलाई उसकी हम करते हैं
तोड़ा जिसने मुरझाने पर फेंक दिया - वह हमारा कैसे होता
हिफ़ाजत करता उम्र तक खिले रहने देता - वह हमारा होता
अभी खिले हैं हम - सब अपना अपना हमें बताते हैं
कल मुरझायेंगे तब देखेंगे - कितने पास रह जाते हैं
ख़िल कर जब खूबसूरत हुए - ख़ुश्बू लेने वाले मिलते रहे
देख आहत हुए हम कि उन्हें - नई नई ख़ुश्बू चाहिए थीं
उन्हें सूंग फेंकता था कोई - वे आहत बहुत होते थे
मगर वे दुष्ट इतने कि
किसी को यूज़ एंड थ्रो करने से खुद उन्हें परहेज नहीं
जिनका दिल कटु बोलों से छलनी हुआ होता है
ख़ैरख़्वाह बनें , दग़ा दे जायें ऐसी मेरी ताशीर नहीं
मेरी ज़िंदगी चार दिनों की , हमेशा की जागीर नहीं
ख़ैरख़्वाह बनें , दग़ा दे जायें ऐसी मेरी ताशीर नहीं
मेरी ज़िंदगी चार दिनों की , हमेशा की जागीर नहीं
ग़र मुस्कान पसंद चेहरों पर तो - आप ये जान लीजिये
कोई मुस्कुराता तब है - जब भलाई उसकी हम करते हैं
तोड़ा जिसने मुरझाने पर फेंक दिया - वह हमारा कैसे होता
हिफ़ाजत करता उम्र तक खिले रहने देता - वह हमारा होता
अभी खिले हैं हम - सब अपना अपना हमें बताते हैं
कल मुरझायेंगे तब देखेंगे - कितने पास रह जाते हैं
ख़िल कर जब खूबसूरत हुए - ख़ुश्बू लेने वाले मिलते रहे
देख आहत हुए हम कि उन्हें - नई नई ख़ुश्बू चाहिए थीं
उन्हें सूंग फेंकता था कोई - वे आहत बहुत होते थे
मगर वे दुष्ट इतने कि
किसी को यूज़ एंड थ्रो करने से खुद उन्हें परहेज नहीं
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