Monday, April 23, 2018

किसी को दिया कुछ तो - कभी हाथ से निकल जाएगा
दी ख़ुशी तो - वह खुशगवार पल यादगार बन जायेगा

किसी को दिया कुछ तो - कभी हाथ से निकल जाएगा
दी ख़ुशी तो - वह खुशगवार पल यादगार बन जायेगा

अच्छा व्यवहार देने में - ज्यादा कुछ नहीं लगता है
मगर आज ज़माना - इतना भी कहाँ ख्याल रखता है

अपने लिए तो चाहिए ख़ुशी - दूसरे के देने में हिचकता है
ख़ुशी देने-लेने की मानवीय परंपरा - खत्म स्वयं करता है

अपने अपने पूर्वाग्रहों में - सब घुसे बैठे हैं
सबसे समझदार हम ही - सब मान बैठे हैं

अपने पूर्वाग्रहों में कैद हैं - हम कोई आज़ाद नहीं
औरों के गुण ग्राहकता के लिए करते - कोई बात नहीं

ज़िंदगी को हराना हो तो - आप मिसाल कुछ ऐसी बनिये
ज़िंदगी बाद भी - सबके दिलों में खुशनुमा याद बन रहिये

हमारे पक्ष में आएगा - तब ही वह न्याय कहा जाएगा
ये सोच न्यायसंगत नहीं है - जरूरी नहीं कि हम सदैव सच्चे ही होंगें

अच्छे विचार प्रसारित अवश्य होने चाहिये
इंसान होने को उत्सुक - वे अच्छी प्रेरणा ग्रहण कर सकते हैं

हमारी किसी के प्रति चाहत - निशर्त होनी चाहिए
ताकि उसकी ख़ुशी में हमारी शर्तें रुकावट न बनें

किसी के प्रति हमारी चाहत - स्वतः जन्म लेती है
किसी के कहने से - चाहत हो पाना संभव नहीं है

चाहत हमारी तो - शर्त की जबरदस्ती ठीक नहीं
क्या उसने कभी कहा है कि - हम उसको चाहें






















 

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