परमसुख परोपकार में ,कर्तव्य में , त्याग में जान नहीं पाते हैं
भोजनसुख , मानसुख और कामसुख भ्रम में जीवन जी जाते हैं
परमसुख परोपकार में ,कर्तव्य में , त्याग में जान नहीं पाते हैं
भोजनसुख , मानसुख और कामसुख भ्रम में जीवन जी जाते हैं
सुख के भ्रम हैं जो सुख नहीं - उन्हें सहज जीना अच्छा
भ्रम सुख हासिल के लिए - छल-कपट ना करना अच्छा
हमारे अच्छा या बुरा कुछ भी किये का दूरगामी प्रभाव होता है
कुछ भी करते हुए हमें इसका विवेक विचार सदा होना चाहिए
हर आशंकित डर हक़ीक़त होता नहीं
हर उम्मीद दुनिया में पूरी होती नहीं
ज़िंदगी हरेक को मिलती यहाँ अनोखी
एक की नकल कभी दूजे में होती नहीं
तसल्ली से बैठ सोच ले कि क्या क्या हकीकत बन गईं
अजीज़ दिखने वाले कभी बदल भी सकते हैं
गुंजाइश रखें कुछ अन्यथा टूट हम सकते हैं
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