परिकल्पना होती ही वो चीज है - जिसके झूठ होने का प्रमाण नहीं होता। अलग अलग क्षेत्र , अलग अलग काल के लोगों ने मज़हब के बारे में , ईश्वर के बारे में अलग अलग परिकल्पनायें बनाई , जिन्हें आज के कट्टरपंथी (घोर अंधविश्वासी) एक दूसरे के जानी दुश्मन होकर निभा रहे हैं। और इन्हें बरगलाने वाले स्वयं को सच्चा धर्मगुरु बता रहे हैं या राजनीति करके इसे सत्ता सुख हासिल कर लेने का उपाय बना रहे हैं .
--rajesh chandrani madanlal jain
23-04-2018
--rajesh chandrani madanlal jain
23-04-2018
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