Thursday, April 26, 2018

बेशक तू खेल ले मेरी खुशियों से , ए ज़िंदगी
कुछ ख़ुशियाँ हैं नसीब - तेरे होने से मिलती हैं

बेशक तू खेल ले मेरी खुशियों से , ए ज़िंदगी
कुछ ख़ुशियाँ हैं नसीब - तेरे होने से मिलती हैं

ज़िंदगी - तेरा दोष नहीं कि हम ख़ुश नहीं रह पाते
हमारी कमी कि हम - मिले गमों से नहीं उबर पाते

गमों की क्यों शिकायत करें हम तुमसे , ए ज़िंदगी
कभी-जभी कुछ ख़ुशियाँ तुम उदार हो - हमें देती हो

अज़ीब तकाज़ा - खुद खुश रहना चाहती हो
तुम छोड़ ग़मगीन - हमें भुलाना चाहती हो

गम ए ज़िंदगी हमें यूँ तो कुछ हैं नहीं
मगर तकाज़ा बहुत बातों का रखते हैं


आरज़ू नहीं कि बहुत जगह किसी के दिल में हमारी रहे
आरज़ू मगर कि जितनी भी मिले जगह हमें - अच्छी हो

हमें देख जिनकी आँखों में शंका हुआ करती थी
बहुत है अब उनके होंठों पर मुस्कान हुआ करती है

हमें देख - जिनकी आँखों में शंका हुआ करती थी
बहुत है - अब उनके होंठों पर मुस्कान हुआ करती है

बाँध के हम रखें किसी को - हम ऐसे नहीं , मगर
तारीफ़ हमारी तब - बिन बंधन के कोई हमसे बँधा रहे

दरअसल भाषा विकास प्रगतिशीलता की द्योतक है
किंतु खराबी हममें है - अच्छी चीज का प्रयोग भी हम बुराई से करते हैं

दिल में मोहब्बत थी
इसलिए -
तन्हा भी हम खुश थे








 

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