Monday, April 2, 2018

तुझे जिसकी पड़ी है - उसे किसी और की पड़ी है
इस पड़ी-पड़ी में - दोनों की ज़िंदगीं निकल पड़ी है

तुम साथ थीं मेरे - ज़िंदगी इसी से लगती थी
अब नहीं तुम हो - मैं कैसे इसे ज़िंदगी कहूँ


कैसी है जिंदगी - मेरी ज़िंदगी में तुम ज़िंदगी बन आईं थीं
अब कैसे कहूँ ज़िंदगीं - जिसे मजबूरी में बिन तुम्हारे जीना है


तुम्हारे जाने से हृदय में मेरे - इक खालीपन बस , बस गया है
मैं बताऊँगा दुनिया को - जीवनसंगिनी का होना क्या होता है??

क्या होती है जीवनसंगिनी - होने पर उनके तुम जानते नहीं
आके ज़िंदगीं में - अपनी हसरतें तुम्हारे दायरे में सिकोड़ लेती हैं

होती हैं प्रतिभायें उनमें अपनी - पर तरजीह तुम्हें देती हैं
मगर
घमंड में तुम्हें अपने - उन पर मज़ाक और ताने सूझते हैं

सीमित साधनों में भी - जो घर व्यवस्थित तुम्हें दिखाई देता है
कोई जिन्न नहीं करता - यह जीवनसंगिनी का कमाल होता है

तुम कमाऊ हो - इतना ही महत्वपूर्ण नहीं होता
ताने-गुस्से में सबके - उनका निभा देना महत्व होता है

करलो उनका आदर - इतना आदर - त्याग तुम्हारे लिए रखती है
जानते बनते उनके समक्ष शेर - बाहर बिल्ली सी तुम्हारी हस्ती है 




 

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