जुदा तो 'बेचारे' हम होंगे ही
जब तक का साथ उनके काम आ जायें
जुदा तो 'बेचारे' हम होंगे ही
जब तक का साथ उनके काम आ जायें
भरोसा करने वाला अंधा नहीं - इंसान होता है
भरोसा तोड़ देने वाला - इंसान नहीं होता है
बहुत कह चुके - अब खामोश रहने को दिल करता है
सवाल मगर तुम्हें - मेरी ख़ामोशी पढ़ने को वक़्त होगा???
ख़ुद जीने की ललक तुम रखते हो
फिर किसी को तुम मारते क्यों हो ???
तुम निभाओ ना अपना मज़हब
दूसरों के निभाने में दखल देते क्यों हो ???
फेयर कॉपी यदि हम होते - दिखाने के बस होते
रफ़ कॉपी हम हुए - कि सीखा इसी में जाता है
बिकता ख़राब है - बेबस वह
इसलिए लिखता - ख़राब है
अपना लिखा - हम बेचना नहीं चाहेंगे कभी
खरीदार नहीं मिलेगा कोई अलहदा बात होगी
इंसानियत बिकाऊ नहीं होती
भलाई बिकाऊ नहीं होती
चंद सिक्कों में बिकता ज़मीर कि
नहीं जानते मिसाल बिकाऊ नहीं होती
वक़्त का पता नहीं चला
और ऑफिस का वक़्त हो चला
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