Monday, April 16, 2018

अँधेरा कहता है - तुम मुझे दूर भगाओ
हो दम तो - तुम चिराग़ बन दिखलाओ

सभी एंगल से विचार सहित , कर्म करने वाला
कभी कुकर्मी ,धोखेबाज या भ्रष्ट नहीं हो सकता
सभी एंगल से विचार सहित , कर्म करने वाला
कभी कुकर्मी ,धोखेबाज या भ्रष्ट नहीं हो सकता

आठ वर्ष की किसी बालिका पर रेप करने वाला
अपनी बेटी पर रेप की कल्पना बस तो कर लेता

कुकर्म का चलन चला - कायर इतना बनता है
खुदकी बेटी जन्मने - साहस उसे नहीं होता है

व्यभिचार तो समाज में अपवाद रूप हमेशा होता था
सिने इंडस्ट्रीज के सेलिब्रिटीज ने इसे आम कर दिया

अपने निकृष्टम स्तर पर हम पहुँचे हैं
भारतीय या किसी के अपने नहीं हम
दलित-सामान्य , हिंदू-मुसलमान
या हममें नारी-पुरुष के भेद हैं

रेप के बाद मारी गई - अबोध का चेहरा बोलते लगता है
मिली थी ज़िंदगी जीने के लिए मुझे- तेरी हवस ने मार डाला है

फिल्मों से हमने - धन प्रतिष्ठा बनाली
राजनीति से हम - धन-शक्ति संपन्न बन गए
हमारे गलत कारनामों की नकल कर
तुम भाड़ में जाओ - हमें क्या

मेरी इंसानियत की परीक्षा तब होती
जब मुझ पर ऐतबार किसी का होता है

अपने मुहँ मियाँ मिठ्ठू बनते रहे नेता 
देश की छवि क्या हुई मतलब नहीं रहा
मिल गई सत्ता - मिल गई दौलत-नाम
होते रहे समाज बदनाम - मतलब नहीं रहा

गंदा चेहरा नक़ाब में रख लेते - इंसानियत कुछ बाकि रह जाती
बेशर्मी छा गई अब इतनी कि - बदनीयती शान में बयां करते हैं

उसका गंदा चेहरा - ये उजागर करते
उनका गंदा चेहरा - वे उजागर करते
उजले होते - ये और वे
तो अपने चेहरे की बात करते

दरिंदे से इंसान बनने की दिशा में चलते - भूल गए कि थमना कहाँ है
दरिंदे से इंसान हुए थे हम मगर - फिर दरिंदगी की दिशा बढ़ गए

हवस ने दरिंदा होना आसान कर दिया
इंसान होने के लिए मुश्किलात बढ़ा दीं


कुछ भी बनें हम - हर्ज कोई नहीं मगर
पैदा हुए इंसान तो - इंसान बन के तो दिखलायें




 

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