Friday, April 27, 2018

#जबरदस्ती
ज़िंदगी हमारी है मगर
इसे जीना - मर्जी से तुम्हारी है

बाहर तुम - खतरे नारी की ज़िंदगी पर उत्पन्न करते
खतरों का बहाना ले के - घर में शर्तें ज़िंदगी पर थोपते


बेटी तो है - माँ के दिल का सुकून
सासु माँ के दिल का भी - बने सुकून

अपना क़रार माँ ने - तुम्हें बेटी दे सौंप दिया
सासु माँ ये क्या किया - उसे नासूर करार दिया

कभी तो सिर्फ चेहरा देखने से मिला करता है - तुम्हें सुकून
क्या होता फिर जान भी रख दें - तुम्हें मिलता नहीं सुकून

चलो थोड़ी ख़ुशी से अकेला जिया जाए..
दिल दुखाने वालों को शर्मिंदा किया जाए


 

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