Tuesday, January 9, 2018

जो अजीज थे हमें - आज अजनबी हो गये
कल तक थे उनसे - मकसद सिध्द हो गये

ज़माने भर से उनकी - हम शिकायत करते रहे
उन्हें नापसंद सफाई देना - वे खामोश रह गये

अपनी को तो कहा - हमने मोहब्बत निभाना
मगर उनका निभाना देख - हम दंग रह गये

जिसे जाना था - वह मोहब्बत  नहीं थी दोस्त
उनके दिए साथ से - मोहब्बत करना सीख गये

मोहब्बत मेरे दोस्त - शिकवे शिकायतों में नहीं
'फ़िक्र' यार की ख़ुशी हो - मोहब्बत होती है वहीं

इश्क जता उससे - महबूबा बनाया था हमने
बीबी जो हो गई - उससे मोहब्बत भूल गये

ज़माने भर के लोगों ने - मज़ाक बनाया है हमारा
कोई न मिला - तो हम बीबी को मज़ाक बना गये

जब हम अपने को - कुछ साबित ना कर सके , तब
सीख औरों से - सीख सकते हैं कुछ, साबित कर दिया

उठा औरों पे एक अँगुली - अपने पे चार देखी है
छोड़ बुराई औरों की - हमने दुरुस्त अपनी की है

उसे धोखा खाना क्यों कहूँ मैं
सबक सीखना कह सकता हूँ

न आह और न वाह - विवाह में
चाह मिलन की - ख़ुशी छिपी है

कि लायक हम नहीं हैं - लेकिन
जब जब कहा दुनिया को नालायक - हमने अपनी खीझ मिटाई है

रिवाज अजीब ये देखा है हमने
कान को नापसंद सुनना - कि तू नालायक है
पर जुबां को पसंद कहना - कि तू नालायक है



 

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