Wednesday, January 17, 2018

जी गया ज़िंदगी पर - तूने कोई मिसाल न दिया
ले जा न सका साथ - ज़िंदगी में तूने वही किया

है जिंदगी तभी कुछ - तू औरों के लिये भी कर ले
और देंगें चार कंधे तुझे - बाकि एहसान न रख ले

बेशक आँख मूँद के - अपने हसीं ख़्वाब तू देख
औरों के हैं ख़्वाब - तू आँख खोल कर भी देख

मेरा होना संसार में - जरा आवश्यक नहीं
कुछ काम अगर मैं - किसी के आता नहीं

वाहवाही मिलती रही - सब साथ उसके हैं , भ्रम में रहा
मुसीबतें टूटीं उस पर - समझा अकेला था , अकेला रहा

"जी हुजूर" लहजा न था - जवान , हम ही हुजूर थे
लहजा बदल लिया अब कि - हमारे सब ही हुजूर हैं

है जिंदगी - तू 'औरों' के लिये भी तभी कुछ कर ले
'और' देंगें चार कंधे तुझे - बाकि एहसान न रख ले

 

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