Sunday, January 21, 2018

लफ़्ज हैं - जिससे कभी दिल ऊब जाते हैं
पर लफ़्ज ही हैं - जो दिल को स्फ़ूर्त करते , कभी हँसी लाते हैं


दिल में कुछ - बयां कुछ करता है
इंसानी शातिराई जिसमें - लव ,प्यार ,इश्क़ ,मोहब्बत के अल्फ़ाज़ कहता है

प्यार का अस्तित्व नहीं होता - ये हम नहीं कहते हैं
प्यार मगर शब्दों से ज्यादा - हृदय से अनिभूत होता है

दिल में हो प्यार- सिर्फ़ माशूक़ा से कहने की बात नहीं
क्या कौम, क्या भाषा, क्या देश,क्या पुरुष,क्या नारी- सबसे प्यार हुआ करता है

नेक बंदा वह जो - मज़हब से 'इल्म ए मोहब्बत' लेता है
कौम से या देश से भी पहले - दिल में मोहब्बत हर इंसान से रखता है

इबादत कर रहे हैं - औरों को दिल तोड़ने वाले
ख़ुदा कहते हैं - बंदे ऐसे मेरी इबादत नहीं होती


इश्क़ ग़र - संकीर्ण दायरे में ना लिया जाये
तो दायरे में , दूरियों में भी - ताउम्र इश्क़ रहता है

देखने वाले अपनी हवस से भी देखते हैं
हम तलाशते उन्हें - जिनके दिल में हमारे लिए जगह है
 

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