Wednesday, January 10, 2018

रोज रात ये ख्याल आता है - दिन से जो चाहिए था
थोड़े दिनों के जीवन में - बिना दिये एक बीत गया

सवेरा होता फिर - एक लक्ष्य लिए फिर उठता हूँ
कोशिशें जारी मगर - कुछ कोशिशों में चुकता हूँ

लक्ष्य धन कमाने का बनाता तो - कमा कुछ लेता मैं
लक्ष्य मगर नफरत मिटाने का - सरासर हूँ चूकता मैं

देखा है व्याप्त नफरत से - हर कोई है परेशान इधर
हैरत देख कि - दिल में अपने पालता है नफरत मगर

मोहब्बत से रहने के पैरोकार - सर्व धर्म हैं यहाँ
पर धर्म उक्तियाँ देकर - रखते हैं नफरत मगर

धन बाँटने खड़ा हो अमीर - तो लेने वाले अनेक घेरेंगे
लिए मोहब्बत का पैगाम - गरीब खड़ा अकेला मिलेगा

वक़्त गुजर रहा था - पास बैठने की फुरसत ना थी
ग़मगीन कि गुजर वो गया - वक़्त साथ गुजारा क्यों नहीं

ख्याल तो आये कोई - शायरी हो जायेगा
पारस है दिल मेरा - लोहा , सोना हो जाएगा

बाँहों में तुम हो तो - जीने की फ़िक्र होगी
मरने से क्या - कि रूह बिन बाँहें होती हैं


राजेश तुम तब भी मशहूर हुए होते - गज़ब कुछ ऐसा करते
अपना दर्द बयां करने की जगह - औरों के दर्द दूर करते

खेद कुछ दिल में लिये - हर लम्हा गुज़रता है
खेद यह भी कि - यूँ ही ज़िंदगी गुजरनी है

तुम्हें जानता भी नहीं - तुम्हें जानता भी मैं हूँ
कि मेरे से अरमान ही - तुम्हारे दिल में भी होते हैं

अरमां तो एकसे दिल में मगर - फर्क हममें है
मैं दिल में प्यार मगर - तुम नफरत रखते हो

दौलत जो होती बहुत - दौलत में ही ठहरते थे हम
फ़क्कड होकर तो हमने - दिलों की सैर कर ली है

कोई गिला नहीं कि - हमें , तुम पसंद नहीं करते
पर जिसमें तुम खुश हो - हम उसे पसंद करते हैं

जज़्बात की न करो बात - बहुत महसूस किये हैं हमने
मगर कहाँ गुमते ये जज़्बात - जब हुस्न रौनक खोता है

नींद उड़ाने वाले बहुत - जो जान ले लेते हैं
तुम भी उड़ाते नींद मगर - ख़्वाब दे देते हो

लो और इनाम बँटे - वह खाली हाथ रहा
भलाई के लिए वहाँ - कोई इनाम न था

आज
क़ुरआन का मोमिन नहीं - गीता का हिंदू नहीं
बाइबिल का मसीह नहीं - भड़कावे बहुत सारे हैं

खुदा ने सूरत तो उसे - बहुत दिलक़श दी थी
बदक़िस्मती ज़माने की - नक़ाब में ज़ब्त रही

खुदा ने सूरत तो उसे - बहुत दिलक़श दी थी
बदक़िस्मती मगर - नक़ाब हटाने की इजाजत नहीं 

आईना ताउम्र - खूबसूरत उसे कहता रहा
और सब भी कहते यह - कान तरस गए

पाबंदी अनेकों हैं - लोग पी लेते हैं
जीने के लिए कहके - पी के मरते हैं

रोना ख़त्म करके - मुस्कुराहटें देती है
मोहब्बत को मगर - लोग उल्टा लेते हैं

हस्ती कोई टूटे तो - आसमान टूट गया लगता है
साधारण हम अच्छे - टूटने से फ़र्क नहीं पड़ता है


 

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