Thursday, January 18, 2018

ज़िंदगी की उलझनों में भी - जीने का जज़्बा है
तबियत से मुस्कुरा ही लें - पर सामान महँगा है

छोड़ भी दें मुस्कुराना - पर तुम्हें उदास देख न सकते
हम खुश तो तुम मुस्कुराते - ख़ातिर हमें मुस्कुराना है

मुस्कुराते तुम रहो - मुस्कुराते हमें सब चेहरे पसंद
छिने मुस्कुराहट तुम्हारी - खुश हम रह सकते नहीं

सँस्कृति हमारी ऐसी हो कि - मुस्कुराते सब रहें
छीनती ख़ुशी किसी की - उसे सँस्कृति कैसे कहें

बीतते दिनों की तरह - इक दिन हम बीत जायेंगे
हैं दिन जब तक हमारे - तुम्हारे हम दिन बनायेंगे

कही जा चुकी बातें - उनसे आगे की हमें कहना है
सर्वहित निहित जिसमें - सँस्कृति हमें वह देना है

नहीं सीमित करो - किसी एक परिधान में
नारी है जिस पर - सभी परिधान फ़बते हैं


 

No comments:

Post a Comment