ज़िंदगी की उलझनों में भी - जीने का जज़्बा है
तबियत से मुस्कुरा ही लें - पर सामान महँगा है
छोड़ भी दें मुस्कुराना - पर तुम्हें उदास देख न सकते
हम खुश तो तुम मुस्कुराते - ख़ातिर हमें मुस्कुराना है
मुस्कुराते तुम रहो - मुस्कुराते हमें सब चेहरे पसंद
छिने मुस्कुराहट तुम्हारी - खुश हम रह सकते नहीं
सँस्कृति हमारी ऐसी हो कि - मुस्कुराते सब रहें
छीनती ख़ुशी किसी की - उसे सँस्कृति कैसे कहें
बीतते दिनों की तरह - इक दिन हम बीत जायेंगे
हैं दिन जब तक हमारे - तुम्हारे हम दिन बनायेंगे
कही जा चुकी बातें - उनसे आगे की हमें कहना है
सर्वहित निहित जिसमें - सँस्कृति हमें वह देना है
नहीं सीमित करो - किसी एक परिधान में
नारी है जिस पर - सभी परिधान फ़बते हैं
तबियत से मुस्कुरा ही लें - पर सामान महँगा है
छोड़ भी दें मुस्कुराना - पर तुम्हें उदास देख न सकते
हम खुश तो तुम मुस्कुराते - ख़ातिर हमें मुस्कुराना है
मुस्कुराते तुम रहो - मुस्कुराते हमें सब चेहरे पसंद
छिने मुस्कुराहट तुम्हारी - खुश हम रह सकते नहीं
सँस्कृति हमारी ऐसी हो कि - मुस्कुराते सब रहें
छीनती ख़ुशी किसी की - उसे सँस्कृति कैसे कहें
बीतते दिनों की तरह - इक दिन हम बीत जायेंगे
हैं दिन जब तक हमारे - तुम्हारे हम दिन बनायेंगे
कही जा चुकी बातें - उनसे आगे की हमें कहना है
सर्वहित निहित जिसमें - सँस्कृति हमें वह देना है
नहीं सीमित करो - किसी एक परिधान में
नारी है जिस पर - सभी परिधान फ़बते हैं
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