Thursday, January 4, 2018

05-जन.-2018



पढ़ना चाहें तो हर शख़्स एक - खूबसूरत किताब है
हम और तुम हैं गुमान में कि - कोई हमें ही पढ़े


कोहरा जैसे ना छा जाना तुम - हम पर कि
दुनिया में करने को है और भी बहुत - देख न सकें


नज़र और नीयत तुम्हें - यूँही ख़राब रखनी है
मेरे लिबास पर फिर - तुम क्यूँ सवाल करते हो???


किया ज़िंदगी भर का साथ - पूरा , तुमने
शरीर को समझा - क्या रूह को भी समझा है??


आपत्ति के शब्द ऐसे लिखें - कि विचार को बाध्य करें
भड़काऊ शब्द ऐसे न लिखें - कि खूनखराबा को उकसायें


जब जब शांत सा लगेगा - उन्हें हमारा यह समाज
विष घोल देंगें - अशांति में मंसूबे उनके पूरे होते हैं



कि कर तो दिया उन्होंने - नक़ाब में तुम्हें कैद
मालूम है कि बुरी नज़र से वे आरपार देख लेंगें



औरों के लिए करना है कुछ?? - राजनीति , सिनेमा , क्रिकेट में न जा
नाटक औरों के लिए करने का वहाँ - खुद के लिए करते और मरते हैं



वे महान कदापि - कोई सिध्दांत ,कोई जीवनशैली नहीं देते
गर कल्पना होती कि - अनुयायी उससे खूनखराबा चलायेंगें



दौर ना उसका हुआ - ना ही मेरा हुआ
आया का गुमान हुआ - कि चला गया

-- राजेश जैन
05-01-18

No comments:

Post a Comment