मोहब्बत - जब मोहब्बत होती है
सितम , शिकवे-शिकायत - कोई अंतर नहीं करते
#दिल_अपना_ही_तो_है
दुश्मनी में जीकर - दिल में काँटे लगाओगे
मोहब्बत से जियो - दिल में फ़ूल खिलाओगे
उनको हम याद ही क्यों आयें - जो पलट चले गए
हमारा याद करना जायज़ है - हमें तो वो पसंद थे
ख़ुदा से माँग का - हाथ तो पसारता है
पर लेना
ख़ुदा की मर्ज़ी से नहीं -अपनी मर्ज़ी से चाहता है
शौहर का किया-दिया - कोई ग़म नहीं दिखता
ऐसी दौलत को शौहर - बे ग़म कहा करता है
सितम , शिकवे-शिकायत - कोई अंतर नहीं करते
#दिल_अपना_ही_तो_है
दुश्मनी में जीकर - दिल में काँटे लगाओगे
मोहब्बत से जियो - दिल में फ़ूल खिलाओगे
उनको हम याद ही क्यों आयें - जो पलट चले गए
हमारा याद करना जायज़ है - हमें तो वो पसंद थे
ख़ुदा से माँग का - हाथ तो पसारता है
पर लेना
ख़ुदा की मर्ज़ी से नहीं -अपनी मर्ज़ी से चाहता है
शौहर का किया-दिया - कोई ग़म नहीं दिखता
ऐसी दौलत को शौहर - बे ग़म कहा करता है
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