लिखलो वो बातें जो कहना - औरों से मुनासिब नहीं
लिखलो वो बातें जो न कहें तो - दिल बेचैन होता है
शिक़वे-शिकायतें - मोहब्बत में आम बात है
ये कहना कि - मोहब्बत नहीं है गलत होगा
तुम भी रखते अपने दिल में मोहब्बत
हमारे दिल में भी बसती है मोहब्बत ही
चलो हम मोहब्बत से पेश आना शुरू करते हैं
गणतंत्र दिवस , है दिन अच्छा - चलो हम शुभारंभ करते हैं
हर दिल में है मोहब्बत - मोहब्बत के नए अंदाज़ पेश करते हैं
हम क्यों उदास - बयां न करेंगे
आप हों उदास - देख न सकेंगें
आपकी उदासी की हर वज़ह - दूर करेंगे
ग़म अपने बयां कर वज़ह - हम न बनेंगे
जो आप की उदासी का अंदाज़ ही - कर न सकेंगे
आपसे है हमें मोहब्बत - हम किस मुहँ से कहेंगे
कैसी है तुम्हारी मोहब्बत - मजबूरी भी समझी नहीं
ख़ुशियों की हिक़मत में थे व्यस्त तो - पलटना कह गए
जो कहते कि हम समझते नहीं - सब बहाने हैं उनके
कि चेहरे पे हँसी के पीछे छिपे दर्द - समझना मुश्किल नहीं
दिलाते हैं भरोसा कि - "इश्क़ है तुमसे"
औरों से भी यही जुमला कहते हुए
एक के बाद एक - कई से दग़ा करते हैं
आँखें या मुखड़े को पढ़ने की ज़रुरत क्या है
एक ज़िंदगी क्या चाहती - ये जानते हम हैं
हम ढूँढ़ते हैं ज़रिये कि - सुकून आपको मिले
इरादे नेक मगर खेद कि - बनते हैं दर्द आपके लिए
इज्ज़त बक्शी हमें - अपनी ज़िंदगी से बढ़कर
खेद कि उनकी ज़िंदगी - हमने दुश्वार कर दी
लिखलो वो बातें जो न कहें तो - दिल बेचैन होता है
शिक़वे-शिकायतें - मोहब्बत में आम बात है
ये कहना कि - मोहब्बत नहीं है गलत होगा
तुम भी रखते अपने दिल में मोहब्बत
हमारे दिल में भी बसती है मोहब्बत ही
चलो हम मोहब्बत से पेश आना शुरू करते हैं
गणतंत्र दिवस , है दिन अच्छा - चलो हम शुभारंभ करते हैं
हर दिल में है मोहब्बत - मोहब्बत के नए अंदाज़ पेश करते हैं
हम क्यों उदास - बयां न करेंगे
आप हों उदास - देख न सकेंगें
आपकी उदासी की हर वज़ह - दूर करेंगे
ग़म अपने बयां कर वज़ह - हम न बनेंगे
जो आप की उदासी का अंदाज़ ही - कर न सकेंगे
आपसे है हमें मोहब्बत - हम किस मुहँ से कहेंगे
कैसी है तुम्हारी मोहब्बत - मजबूरी भी समझी नहीं
ख़ुशियों की हिक़मत में थे व्यस्त तो - पलटना कह गए
जो कहते कि हम समझते नहीं - सब बहाने हैं उनके
कि चेहरे पे हँसी के पीछे छिपे दर्द - समझना मुश्किल नहीं
दिलाते हैं भरोसा कि - "इश्क़ है तुमसे"
औरों से भी यही जुमला कहते हुए
एक के बाद एक - कई से दग़ा करते हैं
आँखें या मुखड़े को पढ़ने की ज़रुरत क्या है
एक ज़िंदगी क्या चाहती - ये जानते हम हैं
हम ढूँढ़ते हैं ज़रिये कि - सुकून आपको मिले
इरादे नेक मगर खेद कि - बनते हैं दर्द आपके लिए
इज्ज़त बक्शी हमें - अपनी ज़िंदगी से बढ़कर
खेद कि उनकी ज़िंदगी - हमने दुश्वार कर दी
तेरे वादों का वज़ूद - क्या ख़ाक होगा
जब तूने ही अपना वज़ूद - बदल डाला
ख़्वाब में ज़िंदगी जीना - क्या ज़िंदगी है??
चलो होश में - हाथ में हाथ ले हम टहलते हैं
मर मर के जिये - तुम्हारा ऐतबार करके
चाहते हो हम से इसे - हम ज़िंदगी कहें
ख़्वाब में ज़िंदगी जीना - क्या ज़िंदगी है??
चलो होश में - हाथ में हाथ ले हम टहलते हैं
मर मर के जिये - तुम्हारा ऐतबार करके
चाहते हो हम से इसे - हम ज़िंदगी कहें
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