Monday, January 22, 2018

क्या करते कि नित - प्रातः हम उठ जाते हैं
अपनी ख़ुशी , अपने हित , अपने अभिप्राय ही तो साधा करते हैं

प्रातः उठ लिए आज तो - भला ही तो है
अपने अभिप्राय में - औरों की ख़ुशी , औरों के हित को शामिल कर लीजिये

कल तक करते रहे - फ़रेब हम औरों के साथ
अल सुबह आज - बात इसे इतिहास की कर दीजिये

आज से भविष्य हमारा - सर्वहित के लिए समर्पित है
जीवन नहीं दोबारा , महामानव आप - आज यह संकल्प लीजिये

देखिये इतिहास में बुरे और भले - दोनों ही लोग हैं
किस के स्मरण से - विषाद या मिठास स्वतः अनुभव कीजिये

सभी ख़्वाब किसी के - हक़ीक़त में तब्दील नहीं होते
ऐसे नहीं बनें हम कि - ज़िंदगी में हौंसले ही खो दें

हौंसले खुद रखिये - औरों को हौंसला भी दीजिये
दुनिया नहीं सिर्फ़ तेरी - औरों को भी जिंदगी का हक़ दीजिये

सच जिनको - ख़ुद ही मालूम है नहीं
अपने सच के अपमान से - मन मायूस मत कीजिये

 

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