Thursday, January 4, 2018

03 जन 2018

एक और कहानी . .
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कल भी कुछ श्रेष्ठ विचार थे , आज भी हैं , कल भी आयेंगें
है मगर उलझन , ग़मगीन है ज़माना , ग़म खत्म कैसे हो पायेंगें
...
प्रेरित करते थे भले विचार - भला बनने के लिए
क्या घोला गया जहर फ़िजा में - विचार असर करते नहीं
नेज़ो फ़िल्टर बनाया कि - स्मॉग का जहर शरीर में न जाए
कोई बनाओ फ़िल्टर ऐसा कि - भड़काऊ ज़हर मन में न जाए
देश , धर्म , भाषा , घर - की सीमाओं ने बाहर जहर उगला है
हद तो यह कि घर की सीमाओं में - नारी का जीना दूभर है
हटाओ एकजुट होकर यह नफरत का - तुम जहर
अन्यथा घुटन में जीने के लिए - औलादें गर्भ में न लाओ
--राजेश जैन
03-01-2018

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