Tuesday, January 16, 2018

अज़नबी हम मगर - एक बात से वाकिफ़ हैं
मोहब्बत अपने दिल में - तुम और हम रखते हैं

जबरन नहीं तुम - मोहब्बत से हासिल कर लो
जबरदस्ती से हम दूर - मोहब्बत से तुम्हारे होंगें

मोहब्बत है पैदाइशी - डिफ़ॉल्ट सेटिंग सबकी
मज़हब का बहाना लेकिन - कस्टमाइज कर नफ़रत सेट करता है

मज़हबी तू कैसा है - मज़हब मोहब्बत से रहने कहता है
मज़हब का ले बहाना मगर तू - नफ़रत दिलों में भरता है

हिक़ारत से देखे कोई - तुझे नापसंद है
फ़िर नफ़रत किसी के लिये - दिल में रखता क्यूँ है

अज़नबी से रु ब रु - जब उसका भरोसा न ज़ीत सका
ले ली क़लम मैंने - अब दिल खोल के मोहब्बत लिखता हूँ



 

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