Saturday, January 13, 2018

जुबां पे नाम आने पे - वो इश्क़ को समझें
ख़ामी कोई उनमें नहीं - इश्क़ में है अपने

सुन , चिढ़ने वाले तुझे भी - मैं अपना बना सकता हूँ
पर ये लम्हा तेरा ख़राब न कर - महफ़िल से जाता हूँ

आये तो हम महफ़िल में - मगर महफ़िल नहीं मेरी
मोहब्बत की सब नज़र तुझ पे - ये महफ़िल है तेरी

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