आईना भी अगर मैं बनूँ - खुद आईना निहारूँगा
औरों को दर्शाने से पहले - खुद अपने में झाकूँगा
वजह , औरों में बुराई दिखाने की - खुद , बेहतर दिखाना तो नहीं
देख कि जिंदगी के और मसलों में - खुद , औरों से खराब तो नहीं
तमन्ना , खुद बेहतर दिखाने की नहीं - मेरा दायरा छोटा है
तमन्ना , तू तो मगर बेहतर दिख - पूरी दुनिया में घूमता है
कर्म अगर अच्छे नहीं - नाम में से हटा लो धर्म
तेरे ख़राब कर्मों से - प्रश्नचिन्ह धर्म पे लगता है
धर्म अपना बतायें जब - कर्मों में गरिमा हो
अपना है धर्म - गरिमामय प्रेरणायें देता है
शब्दों के जाल में - औरों को भ्रमित कर जाओ नहीं
जल की बात है तो - उस सी निर्मलता लाओ तुम्हीं
आत्मा पर ही जब लक्ष्य हमारा होगा
प्रत्येक प्राणी जग में हमे प्यारा होगा
जब जब हमें किसी में दिख रही होगी
हमारी दृष्टि बुराई की जड़ ढूँढती होगी
बुराई किसी भी जीवन की - बाहरी परत ही होती है
जीवन बचाते हुए बुराई मारना , फ़िक्र हमारी होती है
ये जहान ही मगर ऐसा है
हम या कोई हो न हो ये चलता रहता है
इस जहान से हमें - लेकर तो कुछ नहीं जाना है
तजुर्बे मिले ज़िंदगी में - देकर वही चले जाना है
किसी से दुश्मनी लेकर - मैं नहीं जीता
लेता हूँ मोहब्बत - बाँट वही मैं हूँ देता
मिला कुछ अप्रिय भी तो - मैं याद नहीं रखता
छोटे से अपने दिल को - कटुता से नहीं भरता
गैर इस दुनिया में कोई किसी का होता नहीं
कमी मेरी कि मुझे अपना बनाना आता नहीं
अल्फाज मैं अपने समझने की भूल करता हूँ
जिन्हें सीखता यहीं और मैं छोड़ यहीं देता हूँ
कुछ कोशिशें कि - प्रेरणा के शब्द हम भी लिख दें
कोई उन्हें ताकि - आगे 'अज्ञात' लिख पोस्ट कर दें
औरों को दर्शाने से पहले - खुद अपने में झाकूँगा
वजह , औरों में बुराई दिखाने की - खुद , बेहतर दिखाना तो नहीं
देख कि जिंदगी के और मसलों में - खुद , औरों से खराब तो नहीं
तमन्ना , खुद बेहतर दिखाने की नहीं - मेरा दायरा छोटा है
तमन्ना , तू तो मगर बेहतर दिख - पूरी दुनिया में घूमता है
कर्म अगर अच्छे नहीं - नाम में से हटा लो धर्म
तेरे ख़राब कर्मों से - प्रश्नचिन्ह धर्म पे लगता है
धर्म अपना बतायें जब - कर्मों में गरिमा हो
अपना है धर्म - गरिमामय प्रेरणायें देता है
शब्दों के जाल में - औरों को भ्रमित कर जाओ नहीं
जल की बात है तो - उस सी निर्मलता लाओ तुम्हीं
आत्मा पर ही जब लक्ष्य हमारा होगा
प्रत्येक प्राणी जग में हमे प्यारा होगा
जब जब हमें किसी में दिख रही होगी
हमारी दृष्टि बुराई की जड़ ढूँढती होगी
बुराई किसी भी जीवन की - बाहरी परत ही होती है
जीवन बचाते हुए बुराई मारना , फ़िक्र हमारी होती है
ये जहान ही मगर ऐसा है
हम या कोई हो न हो ये चलता रहता है
इस जहान से हमें - लेकर तो कुछ नहीं जाना है
तजुर्बे मिले ज़िंदगी में - देकर वही चले जाना है
किसी से दुश्मनी लेकर - मैं नहीं जीता
लेता हूँ मोहब्बत - बाँट वही मैं हूँ देता
मिला कुछ अप्रिय भी तो - मैं याद नहीं रखता
छोटे से अपने दिल को - कटुता से नहीं भरता
गैर इस दुनिया में कोई किसी का होता नहीं
कमी मेरी कि मुझे अपना बनाना आता नहीं
अल्फाज मैं अपने समझने की भूल करता हूँ
जिन्हें सीखता यहीं और मैं छोड़ यहीं देता हूँ
कुछ कोशिशें कि - प्रेरणा के शब्द हम भी लिख दें
कोई उन्हें ताकि - आगे 'अज्ञात' लिख पोस्ट कर दें
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