मदर्स डे पश्चात (Post Mothers Day)
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बेटे के जन्म के साथ पीयूष जिन अंगों में भर आया है
आँचल लेट जिन सोतों से बेटा पीयूष पान कर पाया है
पीयूष भरे इन सोतों से ही तो बचपन ने बाँकपन पाया है
युवा हुआ कामुकता में नारी लाज विचार ना कर पाया है
माँ ,नारी है , नारी माँ हो सकती विचार ना उसे आया है
आहत ,अनादर नित करता पीयूष ऋण न चुका पाया है
भूल ये शाश्वत सच को ,नारी किसी की बेटी या माँ भी है
मादक रूप दे उनके अंगों को ऐसे सब तरफ उकेर डालें है
निज होते उन मादक अंगों को वीभत्स रूप में उकेर डाले हैं
माँ बेटी का सम्मान ,तन ही ना मन भी होता भुला डाले हैं
अनादर हुआ मातृत्व का , आहत हुआ नारी सम्मान है
सुरक्षा चुनौती उनको , आहत हुआ नारी स्वाभिमान है
फिर भी पीयूष पान कराती बेटे को, अपमानित ,वह माँ है
मैं नारी हूं या महज स्तनों का एकजोड़ा? पूछती वह माँ है
--राजेश जैन
11-05-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman
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