आश्चर्यजनक
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एक जज के मुँह से कल टीवी पर सुना - आजकल 'इंडिया गॉट टैलेंट' में आर्टिस्ट कपड़े बहुत उतार रहे हैं। आश्चर्यजनक लगा सुन के , फिल्म से जुडी उस हस्ती ने यह नोटिस किया। पिछले 80 वर्षों में देश में , अनेकों ने (करोड़ों ने) यह दोष लगाया होगा कि फ़िल्में देश/समाज में नंगेपन को दुष्प्रेरित कर रहीं हैं । लेकिन फिल्मों ने अपनी चाल नहीं बदली बल्कि दिनोंदिन और खराबी उत्पन्न करते जा रही हैं।
अपनी कला को माध्यम बनाकर मंच पे जा रहा एक गुमनाम आर्टिस्ट भी फ़िल्मी नायकों एवं स्पोर्ट्स सेलिब्रिटी की तरह अपने गठीले बदन का प्रदर्शन करने को बेताब हो कर ये करता है। यह उसने ,इन्हीं से सीखा है। मालूम नहीं ऐसा इम्प्रैशन कैसे पड़ा इन के दिलोदिमाग पर ? कि इनके गठीले शरीर पर रीझ कर , सारी रूपयौवनायें इन्हें अपना सर्वस्व अर्पित करने को तैयार हो जायेगीं।
धिक्कार है -ये प्रोग्राम प्रिरिकार्डेड होते हैं। अगर इन जज महोदया के ये आँसू मगरमच्छी न होते तो , टीवी पर टेलीकास्ट करने के पहले ही ये अंश , हटाये जाते।
आखिर कब तक ? हम ,"इनके नंगाई के आइकॉन होने" और फिर इस तरह "मासूम" बनने के छल के बीच छले जाते रहेंगे। हमारे व्यवहार से तो ऐसा लगता है, जैसे हम परायों के देश और समाज में जीवन निर्वाह कर रहे हैं।
--राजेश जैन
24-05-2015
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