Thursday, May 21, 2015

साधारण नारी - नित जीवनसंघर्ष

साधारण नारी - नित जीवनसंघर्ष
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नहीं ,रहने को सुविधाजनक भवन
नहीं ,पहनने को कीमती परिधान
सपने अधूरे रहते बेटी-बहनों के
तुम इन्हें नहीं पूरा कर सकते हो

पढ़ने के पुरुष जैसे अवसर ,नहीं
उदर पूर्ति को फल और मेवा ,नहीं
इनसे रहती बहन बेटियाँ वंचित
तुम नहीं उन्हें स्वतंत्रता दे सकते हो

चलने के लिए पास गाड़ी उन्हें ,नहीं
हाथों में उनके झाड़ू साबुन बेलन है
आराम नहीं नारी के जीवन में
कामों से तुम मुक्त नहीं कर सकते हो

सम्मान से बात व्यवहार कर लो
यौन शोषण से उन्हें निर्भय कर दो
ज्यादा शारीरिक ,प्रसव वेदना उनको
तुम्हारी दी वेदनाओं से तो मुक्त कर दो

सृष्टि ने दी उन्हें धरा सी सहनशीलता
सदियों तुम उन्हें धर के मारते पीटते
अय्याशी के लिए नहीं ,सहज जीवन हेतु
नव युग में नारी को शोषणमुक्त कर दो
--राजेश जैन
21-05-2015

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