Wednesday, May 13, 2015

प्रतिभावान

प्रतिभावान
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क्या हुआ अब तक भुला उसे देना है
सभ्यता को यथा नाम रूप दे देना है
भय मुक्त हो समान मनुष्य है नारी
देश -समाज को अपने ये रूप देना है

अगर अपने परिवार की नारी सदस्या को लेकर गहन विचार करें तो हममें से अनेकों इस बात से सहमत होंगे कि हमारे अपने परिवार में 1. माँ ,पिता से ज्यादा या  2. बहन , हम से ज्यादा या 3. पत्नी , पति से ज्यादा या 4. बेटी ,बेटे से ज्यादा - प्रतिभाशाली रहीं हैं। लेकिन जीवन भर पुरुष से ज्यादा परिवार के प्रति समर्पित होते हुए भी , जिसे आज जीवन में ज्यादा सफल होना कहते हैं , उसमें पुरुष से नारी पिछड़ गईं हैं। ज्यादा प्रतिभावान होने पर भी भौतिक उपलब्धियाँ उनके हिस्से में कम आईं हैं। यही नहीं अगर उन्होंने इस स्पर्धा में हिस्सा लिया है तो उनका उत्साह वर्धन नहीं किया गया है एवं अनेकों जगह उनसे छल किया गया है।  क्यों ऐसा हुआ है ? हमारी समाज व्यवस्था में कुछ दोष रहे हैं। हमारे पुरुषत्व अहं उनके प्रगति में अवरोध बनें हैं। ऐसे में नारी - समाज व्यवस्था के प्रति उग्र प्रतिक्रिया को बाध्य हुईं हैं। कई आज - पुरुष प्रकार के मनुष्य से चिढ गई हैं।
हममें से जिनको भी ऐसा लगता है , उनसे आव्हान है नारी का साथ देकर - समाज व्यवस्था के दोष दूर करने के लिए और पुरुषत्व भ्रम को मिटाने के लिए अपने अपने सामर्थ्य से अपने अपने स्तर से और अपने अपने तरीके से प्रयास करें।
प्रतिभावान ,उसके हिस्से में भी आयें उपलब्धियाँ 
समान अवसर एवं न्याय से सब पायें उपलब्धियाँ 
हो विस्तृत पुरुष सोच ,न्याय ,और समाज हमारा
अधिक प्रतिभावान गर नारी वह पायें उपलब्धियाँ 
--राजेश जैन
14-05-2015

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