Saturday, May 9, 2015

मदर्स डे


मदर्स डे  (पूर्व संध्या पर माँ -बेटे से )
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तन अंश, बेटे हो ,गोद आये थे
तुम घर आँगन में खेल रहे थे
नित दिन नई आशा से सजकर
लगते कल ही ,मेरे बीत गए थे

ये घर आँगन हुए अतीत तुम्हारे
कदम भविष्य ओर बढ़ा चुके हो
पढ़ लिख गए तुम अच्छा ,और
नव निर्माण दायित्व ले चुके हो

करती स्मरण उन पूर्व दिनों को
अश्रु से अँखिया मेरी भीग रही हैं
इतना प्यारा था बचपन तुम्हारा
स्वार्गिक सुख अनुभूति हो रही हैं

तुम ,जैसे ही ,जॉब करने को
वहाँ कई बेटियाँ आई होंगी
तुम्हारे ही तरह छोड़ घर को
वे माँ की दुलरियाँ आईं होंगी

बेटे, स्मरण रखना मुझे तुम
जानना उनकी भी एक माँ है
फ़िक्र बेटी सुरक्षा की उसको
जैसी सताती तुम्हारी माँ को है 

मदर्स डे पे मेरा स्मरण आएगा
मेरे प्रति सम्मान उमड़ आएगा
सम्मान तुम करते नारी का यदि
तो मातृत्व मेरा सम्मान पायेगा
--राजेश जैन
09-05-2015
 

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