Friday, May 22, 2015

सुख -शरीर प्रधानता ?

सुख -शरीर प्रधानता ?
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छेड़छाड़ , छल संबंधों से
निकटता की कोशिश करते हो
हितैषी हुए बिना नारी के
मधुर चाहत उससे रखते हो

गलतफहमी है तुम्हारी
आनंद तुम इस से पाते हो
न दे सकते आनंद उसे ,स्वयं
सच्चे आनंद से वंचित होते हो

आत्मिक निकटता का संबंध
देह संबंधों से स्वतंत्र होता है
मिटा रहे आनंद जीवन के तुम
मनुष्य का ये नहीं धर्म होता है

सच्चा प्यार करने वाला, हमारे
आत्मिक सुख से प्रसन्न होता है
--राजेश जैन
23-05-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

 

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