Thursday, May 14, 2015

मुश्किल है

मुश्किल है
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मुश्किल नहीं है मेरे लिए
मुझे नहीं किसी और को तुम चाहो
मुश्किल है मुझे तब कि
किसी और के साथ तुम खुश ना हो

कुछ सुंदर को छोड़ शेष होती हैं उपेक्षित
चाहत को भी घर लाकर करते हैं उपेक्षित

हमारी ख़ुशी क्या , मालूम नहीं है तुम्हें
हैरत तुम्हारी ख़ुशी मालूम नहीं है तुम्हें

गर्भ में ही मारकर कम कर रहे हो हमें
ऐसे भी मारोगे मरने का गम नहीं हमें

गम इस बात का हमने जन्मा है जिसे
कैसा पिलाया दूध गुण न मिले हैं उसे

नारी को सम्मान और सुरक्षा देना नहीं आया है
दुःख की है बात , नारी के लिए भटकना पाया है

जीवन भर ख़ुशी के लिए ढेर साधन जुटाया करते हैं
कला नहीं ख़ुशी जीने की उनमें दुःख उठाया करते हैं
--राजेश जैन
15-05-2015

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