Friday, May 29, 2015

पुरुष जैसा ही सुख

पुरुष जैसा ही सुख
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जन्म के साथ सृष्टि जीव समक्ष जीवन चुनौतियाँ रख देती है
अनुभव से बने समाज में चली रीतियाँ जीवन का हल देती हैं

परिवार में जन्मता मनुष्य मर्यादाओं में जीवनयापन करता है
सुखी वह रहता जो दूसरों के सुख सुनिश्चय के प्रयत्न करता है

माँ,बहन,पत्नी,बेटी ,परिवार हो सुखी ,ममता ,समता रखती है 
लेकिन कुछ रूढ़ियों से होते शोषण से नारी दुखी स्वयं रहती है

धिक्कार रूढ़ियाँ ,गर्भ,समाज में नारी ,हत्या का शिकार होती है
आसपास नारी को दुःखी करते ,सुखी होने की नहीं विधि होती है

गलतियों का सुधार कर अब ऐसा विश्व ,समाज ,हमें बनाना है
पुरुष यदि नारी रूप जन्मे उसमें उसे पुरुष जैसा ही सुख पाना है
--राजेश जैन
30-05-2015
 

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