Monday, May 18, 2015

हमसफ़र

हमसफ़र
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महत्व बेटी ,बेटा का माँ हृदय में चाँद-सूर्य सा होता है
समाज इनमें जब भेदभाव करता माँ का हृदय रोता है
हमसे बनता है समाज ,क्यों हम दोष समाज को देते हैं ...
हम सोचते बुरे ढंग से ,माँ को दे चिंता उन्हें रुला देते हैं


बुरी दृष्टि ,छेड़छाड़ ,कुकृत्य अपराध हम नारी पे करते हैं
दहेज,कन्याभ्रूण हत्या,पुत्री हन्ता ,गृहहिंसा दोषी बनते हैं
सुरक्षित एवं सम्मान से यदि नारी को हम नहीं रखते हैं
दूध एवं संस्कार पे कलंक दे माँ मस्तक को झुका देते हैं

नानी ,दादी, माँ, बहन एवं बेटी नारी सभी परम हितैषी हैं
सब के त्याग एवं ममता के जीवन में आभारी हम होते हैं
ऐसे रिश्ते सभी नारी के दूसरों से होने को हम भुला देते हैं
कामांध-दुष्ट हो कर कुकृत्य ,शोषण हम नारी पे करते हैं

जान लेते इन ,दुराचारों के समक्ष नारी कमजोर पड़ती है
हत्यारे पिता होते कन्या-भ्रूण ,बेटी की जान पर बनती है

शोषक ,छली ,कुकर्मी ,लालची ना हमें तो मनुष्य होना है
नारी सुखी ,प्रगतिशील हो जिसमें वह समाज बना देना है
महत्वकांक्षा उनकी पूरी ,मनुष्य है नारी ये विश्वास देना है
हम मनुष्य प्रगतिपथ पे हमसफ़र प्रशस्त हो साथ होना है
--राजेश जैन
18-05-2015

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