Friday, May 8, 2015

जानना जरूरी है - यह हक़ीक़त

जानना जरूरी है - यह हक़ीक़त
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डायलाग - तू , मुझे क्या जेल देगा , मैंने अपराध किया है , जेल मै खुद जाऊँगा (ऐसा होगा फिल्म में)
अपील - मुझे दिल की बीमारी है , जज साहब , मुझे बेल दे दो (वास्तविक ज़िंदगी में)
फिल्मों में , हीरो बन हमारे दिल पर राज करने वालों के , फ़िल्मी परदे पर के आदर्श और वास्तविक ज़िंदगी के झूठ (गाड़ी ड्राइवर चला रहा था) के डबल स्टैंडर्ड हमें समझ लेने चाहिये।
फ़िल्मी चमक से प्रभावित देश के अनेकों भाई -बहनें , घर छोड़ ,भाग कर सिने-दुनिया में पहुँचते हैं। लड़के -लड़की दोनों का शोषण वहाँ होता है। लड़की , कॉलगर्ल , बारगर्ल बाद में होती है। पहले यहाँ स्थापित शौक़ीन-तबियत के लोगों की खलनायकी भुगतती है। इन लड़कियों की पहले पहचान , किसी घर की बहन -बेटी होने की रहती है। जो खत्म होकर फिर सिर्फ पहचान कॉलगर्ल-बारगर्ल रह जाती है। 
स्थापित सफल सिने कलाकार हजार -हजार करोड़ की दौलत ,  कुछ कम सफल कुछ करोड़ की दौलत बना लेता है। देश और समाज में सुप्रसिध्द हो जाता है। उनके पीछे ,सिनेमा टिकिटों में हम रुपये और प्रशंसक (फैन) होकर अपना मूल्यवान समय व्यय करते हैं।  मनोरंजन प्रदान करने के रास्ते ,सपनों के राजकुमार और ड्रीमगर्ल की तरह हमारे मनोमस्तिष्क में छा जाते हैं।  दुर्भाग्य होता है वे वास्तविक जीवन में हीरो बन सकने में, विफल होते हैं । समाज को एक स्वस्थ प्रेरणा देने तक में विफल रहते हैं। नैतिकता में अपने से हो गए अपराध को स्वीकारने का साहस नहीं करते हैं।
इनका अनुशरण कर ना तो अपना देश -समाज हम बना पायेंगे , न ही अपना मनुष्य चरित्र ही बचा पायेंगे।
 -- राजेश जैन
08-05-2015

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